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जैन आगम : वनस्पति कोश
पीलापन युक्त सफेद रंग की सुखी हुई सुषिर एवं अत्यन्त कडवी गूदी होती है और गूदों के बीच छोटे-छोटे १/४ से १/६ इंच बड़े चिपटे, तरबूज के बीज के आकार वाले, हलके भूरे रंग के बीज होते हैं। फल का छिलका कोमल होता है। इसके सभी अंग कडवे होते हैं तथा इसकी सूखी गर्द नाक एवं आखों में जाने से अत्यन्त प्रक्षोभ करती है।
(भाव०नि० गुडूच्यादि वर्ग पृ ४०३.४०४)
मुग्ग मुग्ग (मुद्ग) मूंग
ठा०५/२०६ भ० २१/१५ प० १/४५ उवा० १/२६ मुद्गग के पर्यायवाची नाम
मुद्गस्तु सूपश्रेष्ठस्स्याद् वर्हिश्च रसोत्तमः। भुक्तिप्रदो हयानन्दः, सुफलो वाजिभोजनः।।
मुद्ग, सूपश्रेष्ठ, वर्णार्ह, रसोत्तम, भुक्तिप्रद, हयानन्द, सुफल, वाजिभोजन ये मूंग के संस्कृत नाम हैं।
(शा०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६१५)
ताo-पच्चैयमेरु। फा०-वुनुमाष, बनोमाश, माष । अ०-मजमाश, माषमज। अंo-Green Gram (ग्रीन्ग्राम)। ले०-Phaseolus aureus Roxb (फेसिओलस् ऑरियस्) Fam. Leguminosae (लेग्युमिनोसी)।
उत्पत्ति स्थान-यह इस देश के खेतों में बोई जाती है और पश्चिमोत्तर हिमालय के ६००० फीट ऊंची भूमि । में भी जंगली उत्पन्न होती है।
विवरण-इसका क्षुप १ से २ फीट ऊंचा होता है। इसके पत्ते उड़द के समान होते हैं। समस्त क्षुप पर रेशमवत् वारीक रोवें होते हैं। फूल पीले आते हैं। फलियां १.५ से २ इंच लंबी और कुछ टेढ़ी होती है। बीज हरे रंग के होते हैं। अंदर की दाल पीले रंग की होती है। श्याम, हरी, पीली, सफेद तथा लाल इन भेदों से मूंग कई प्रकार की होती है। इनमें एक दूसरी की अपेक्षा पूर्व-पूर्व लघु होती है। लाल की अपेक्षा सफेद, सफेद से पीली, पीली से हरी, हरी से श्याम लघु होती है।
(भाव०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६४३, ६४४)
पत्र
मुग्गपण्णी मुग्गपण्णी (मुद्गपर्णी) वनमूंग
भ०२३/८ प० १/४८/५ मदगपी के पर्यायवाची नाम
मुद्गपर्णी काकपर्णी, सूर्यपर्ण्यल्पिका सहा। काकमुद्गा च सा प्रोक्ता, तथा मार्जारगन्धिका ।।
मुद्गपर्णी, काकपर्णी, सूर्यपर्णी, अल्पिका, सहा, काकमुद्गा और मार्जारगन्धिका ये सब संस्कृत नाम मुगवन के हैं। (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० २६६) अन्य भाषाओं में नाम
___ हिo-मुगवन, मुंगानी, वन मूंग, जंगली मूंग, रखाल कलमी । बं०-मुंगानी । म०-रानमुग । गु०-जंगली मग, अडबाऊ मग । क०-कोहसरु, आबरेगिडा। ते०कारुपेसारा, पिल्लपेसर चेटु कलकुन्दचे?। पं0मुगवन । ता०-नरिप्पयरु। ले०-Phaseolus trilobus ait (फेसिओलस् ट्राइलोबस एट) Fam. Leguminosae (लेग्युमिनोसी)।
उत्पत्ति स्थान-यह मूंग के समान ही लता जाति
फली
शारव
अन्य भाषाओं में नाम
हि०-मूंग, मुंग | बं०-मुग । मल-मूग, हिरवेग। गु०-मग, कच्छी। क०-हेसरु। ते०-पच्चापेसलु।
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