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जैन आगम : वनस्पति कोश
मधुकर्कटी के पर्यायवाची नाम
प्रतिविषा (अरुणकंदा) होती है। विषा, घुणप्रिया, घुणा, बीजपूरोऽपरः प्रोक्तो, मधुरो मधुकर्कटी। माद्री, श्यामकंदा सिता, अरुणा, भगुरा, उपविषा.
दूसरी जाति का बिजौरा (चकोतरा नींबू) के विश्वा, शृङ्गी और उपविषाणिका ये अतिविषा के पर्याय हैं। संस्कृत नाम मधुर और मधुकर्कटी हैं)
(कैयदेव०नि० औषधिवर्ग०पृ० २०७) (भाव०नि० आम्रादि फलवर्ग० पृ० ५६३) अन्य भाषाओं में नामअन्य भाषाओं में नाम
हि०-अतीस । म०-अतिविष | बं०-आतइत्र । गु०हिo-चकोतरा, महानिबू। बं०-चकोतरा, अतिवखनी कंली, वखमो, अतिवस, अतिविषा महानिबू। म०-पोपनस। गु०-ओबकोतल। ते०- ते०- अतिविषा। पं०-अतीस. सखी हरी. चितीजडी. पंपरंनासा। ता०-पंबालेमसु । क०-सकोतरे, सक्कोटा। पत्रिस, बोंगा। अंo-Indian Atees (इन्डियन अतीस)। अंo-Shaddock (शेडॉक) Pummelo (प्यूमेलो) ले०- लेo-AconitumHeterophyllum (एकोनिटम हेट्रोफिलम्) । Citrusdecumana Linn (साइटस् डेक्युमॅना) Fam. Rutaceae (रूट्रसी)।
उत्पत्ति स्थान-इसको बागों में लगाते हैं। विवरण-इसका वृक्ष छोटा, करीब १५ फीट ऊंचा
hengitím lophyllum wall होता है और सदा हराभरा रहता है। पत्ते गहरे हरे, बिजोरे से भी बड़े-बड़े होते हैं । वृन्त चौड़े पक्षयुक्त होते हैं। फूल सफेद रंग के आते हैं। फल बड़े-बड़े गोल, एवं ६ से ८ इंच व्यास के फल भी देखने में आते हैं, जो पकने पर फीके पीले रंग के होते हैं। इसके गूदी के दाने फीके गुलाबी या श्वेत रंग के होते हैं और स्वाद में मीठे होते हैं। इसके बीजयुक्त, बीजहीन एवं छोटे, बड़े आदि भेद होते हैं। (भाव०नि० आम्रादि फलवर्ग० प० ५६३, ५६४)
मादरी मादरी (माद्री) अतीस, अतिविषा। प० १/४८/४
विमर्श-मादरी की छाया पाइअसद्दमहण्णव में माठरी की है। आयुर्वेदीय शब्द कोश पृ० १०७७ में माठर वृक्ष का अर्थ माड (मराठी नाम) नारियल (हिन्दी नाम) दिया है। प्रस्तुत प्रकरण में यह कंद वाची शब्दों के साथ हैं। इसलिए यहा संस्कृत रूप माद्री ग्रहण किया गया है क्योंकि माद्री अतिविषा कंद का वाचक है। माद्री के पर्यायवाची नाम
अतिविषा शुक्लकन्दापरा प्रतिविषा विषा ।। घुणप्रिया घुणा माद्री, श्यामकंदा सितारुणा ।।१११६ ।। भङ्गुरोपविषा विश्वा, शृङ्गी चोपविषाणिका। अतिविषा शुक्ल कंदा होती है। इसकी दूसरी जाति
उत्पत्ति स्थान-हिमालय में सिन्धुनदी के उद्गम स्थान से लेकर कुमाऊं तक, तथा हसोरा, शिमला, कुल्लू, मनाली और उधर नेपाल, चम्बा प्रान्त, बद्री केदारनाथ की पहाडी आदि समुद्रतट से ६००० से १५००० फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है।
विवरण-इसके क्षुप १ से ३ फीट तक ऊंचे होते
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