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जैन आगम : वनस्पति कोश
Mangifera Indica, linn
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अनुलम्बरेखा वाले होते हैं। प्रयोज्य अंग मूल होने के कारण शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध के आधार पर मूल का वर्णन दिया जा रहा है।
१. शब्द-मूल में द्रव्यगत कोई शब्द नहीं। तोड़ने पर कट्कट होता है। यह अभंगुर है।
२. स्पर्श-शीत, खर, कठिन एवं लघु यह मूर्त गुण पाए जाते हैं।
३.रूप-(क) बाह्य रचना (ख) आभ्यन्तरिक रचना ४. रस-प्रधान रस तिक्त है।
५.गंध-आर्द्र तथा शुष्कदोनों अवस्थाओं में बडी अच्छी सुगंध आती है।
बाह्य रचना-इसके मूल भूरे रंग के किंचित् श्यामाभ (सूखने पर) प्राय:चिकने और अनुलम्ब रूप में रुई पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। इनकी गांठे (पूर्व) अनियमित दूरी पर होती है। इन गांठों या संधियों पर श्वेत छोटे-छोटे रोम (ऊन जैसे) होते हैं। मूल के ऊपर की त्वचा जरा मोटी भंगुर एवं जल्दी उतर जाने वाली होती है। एक मोटी गांठ के साथ अनेकों उपमूल लगे होते हैं।
(धन्व० वनौ० विशे० भाग ६ पृ०६७)
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उत्पत्ति स्थान-आम का वृक्ष इस देश में प्रायः सर्वत्र लगाया हुआ पाया जाता है। संभवतः वन्य अवस्था में यह सिक्किम, आसाम के नंबर जंगल, खासिया पहाड़, सत्पुरा पर्वत श्रेणी के नदियों के उद्गम स्थान तथा पश्चिम घाट में पाया जाता
अंब अंब (आम्र) आम। भ० २२/२ जीवा० १७१ प० १।३५।१ आम्र के पर्यायवाची नाम -
आम्रश्चूतो रसालश्च, कीरेष्टः मदिरासखः। कामाङ्गः सहकारश्च, परपुष्टो मदोद्भवः ॥१॥
आम्र, चूत, रसाल, कीरेष्ट, मदिरासख, कामाङ्ग, सहकार, परपुष्ट और मदोद्भव ये सब आम्र के पर्याय हैं।
(धन्व०नि० ५।१ पृ० २२१) अन्य भाषाओं में नाम -
हि०-आमाबं०-आमामo-आम्बा।ग०-आम्बो।ते०- मामिडिचेट्ट। ता०-मांगाय, मामरं। क०-अंब, अंम। फा०- अम्ब । अ०-अम्बजाअं०-Mango Tree (मंगो ट्री)।ले०
सोपान Mangifera Indica Linn (मंगीफेरा इण्डिका)।
विवरण-इसकी दो जाति होती हैं - बीजू और कलमी। बीजू बीज से उत्पन्न होता है और कलमी डालियों में जोड़ कलम करके उत्पन्न किया जाता है। बीजू वृक्ष बड़े-बड़े होते हैं और कलमी के वृक्ष अधिक ऊंचे नहीं होते। ये दोनों ही स्वाद के भेद से अनेक प्रकार के होते हैं। कलमी आम प्रायः सुस्वादु होते हैं और इसी को लोग पसंद करते हैं। इसके फल भी छोटे और बड़े के भेद से कई प्रकार के होते हैं। संसार के सब फलों में उत्तम और अधिक गुणकारी आम का ही फल है। इसलिए इसको फलों का राजा कहते हैं।
(भाव० नि० आम्रादिफलवर्ग पृ० ५५२)
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