SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 241
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 221 जैन आगम : वनस्पति कोश विद्यक शब्द सिन्धु पृ० ७६७) विमर्श-सुश्रुत ने मण्डूकपर्णी को शाक माना है। मण्डूकपर्णी सप्तला सुनिषण्ण.... (सुश्रुत सूत्रस्थान अध्याय ४६/२६२ शाकवर्ग० पृ० २०२) मण्डूकपर्णी के पर्यायवाची नाम__ मण्डूकपर्णी माण्डूकी, त्वाष्ट्री दिव्या महौषधी।। मण्डूकपर्णी, माण्डूकी, त्वाष्ट्री, दिव्या और महौषधि ये नाम मण्डूकपर्णी के हैं। (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ४६१) लिन०) Fam. Umbelliterae (अम्बेली फेरी)। उत्पत्ति स्थान यह भारत तथा लंका में आईस्थान पर ६००० फीट की ऊंचाई तक पाई जाती है। यह विदेशों में भी पाई जाती है। विवरण-इसका क्षुप रूप में कुछ भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। काण्ड लंबे, प्रसरी एवं ग्रन्थियों पर मूलों से युक्त होते हैं। पत्ते गोल, वृक्काकार, अखण्ड परन्तु धार पर प्रायः गोल दन्तुर १.३ से ६.३ से.मी. व्यास में एवं लंबे वृन्त से युक्त होते हैं। पुष्प ग्रन्थियों से कई पुष्पदण्ड एक साथ निकलते हैं। जिनमें लाल रंग के पुष्प संख्या में ३ से ५ सवृन्त मूर्धज होते हैं। फल ८ मि.मी. लंबे तथा चिपटे होते हैं, जिनमें चिपटे बीज होते हैं। (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ४६२) मंडुक्की मंडुक्की (माण्डुकी) ब्राह्मी भ० २०/२० प० १/४४/२ विमर्श-मंडुक्की शब्द प्रज्ञापना १/४४/२ में हरित वर्ग के अन्तर्गत है। माण्डकी का शाक होता है। माण्डुकी |स्त्री। ब्राह्मी क्षुपे। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ८१२) अन्य भाषाओं में नाम हि०-ब्रह्ममाण्डूकी, ब्राह्मीभेद। बं०-थोलकुरी जिमशाक । गु०-खड़ब्राह्मणी । क०-वंदेलग । ते०-मण्डूक ब्राह्मणी। ता०-बल्लौ। म०-कारिवणा। अंo-Indian Penny wort (इंडियन पेनीवट) ले०-Centella asiatica (Linn) vrban (सेन्टेला एशियाटिका (लिन०) अरबन) Hydrocotyle asiaticaLinn (हाइड्रोकोटाइल एशियाटिका, अन्य भाषाओं में नाम हिo-ब्राह्मी, जलनीम, ब्रह्मी। बं०-ब्राह्मी शाक. ऊधाबिनि। म०-ब्राह्मी। ते०-शम्बनीन्चेटु ता०नीरा ब्रह्मि। अंo-Bacopa (बॅकोपा)। ले०-Bacopa Monnieri (Linn) Pennell (बेकोपा मोनिएराह (लिन) पेन्नेल) Fam. Scrophulariaceae (स्क्रोफ्युलॅरिएसी)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy