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जैन आगम : वनस्पति कोश
वुस के पर्यायवाची नाम
से कडङ्गरः वुस, कडङ्गर ये वुस के पर्यायवाची नाम हैं।
(सटीक निघुण्टुशेष श्लोक ४०१ पृ० २२०)
शब्द संस्कृत आदि किसी भी भाषा में अभी तक नहीं मिला है। केवल भेरीवृक्ष का वर्णन एक ग्रंथ में मिला है। इससे अनुमान किया जा सकता है कि यह भेरुवृक्ष भेरीवृक्ष ही
भूयणय भूयणय (भूतृण) जम्बीरतृण प० १/४४/३
भूतृण के लेटिन नाम के संबंध में मतभेद है श्री यादवजी ने Cymbopogon jwarankusa (साइम्बोपोगोन् ज्वारांकुश) को भूतृण माना है। कृछ विद्वानों ने हरीचाय Cymbopogon Citratus (साइम्बोगोन् साइट्रेटस) को भूतृण माना है किन्तु इसे श्री यादव जी जम्बीरतण मानते हैं जिसका चरकसुश्रुत अध्याय २७ में हरितवर्ग में एवं सुश्रुत सूत्रस्थान अध्याय ४६ में शाक वर्ग में वर्णन आया
अन्य भाषाओं में नाम
हि०-भेरी, बेरी, चिलारा, चिल्ला। बं०-बेरी, चिलारा । गु०-घोलोम, सुंझल । कु०-चिल्ला म०-करेई, लेनजा, मस्सी, मोदगी। उ०-गिरारी। ता०-कदिचाई। ते-चिलाक दुद्दी। ले०-Casearia Tomentosa (केसेरिया टोमेंटोसा)।
उत्पत्ति स्थान-यह वनस्पति प्रायः सारे भारतवर्ष में पैदा होती है।
विवरण-यह एक छोटी जाति का वृक्ष होता है। इसकी छाल मोटी, कुछ पीलापन लिए हुए सफेद और मुलायम होती है। इसके पत्ते कंगूरेदार और लंबगोल होते हैं। इसके फूल कुछ हरापन लिये हुए सफेद होते हैं। फल मांसल, अंडाकार, मुलायम, चमकते हुए और आधे इंच तक लंबे होते हैं। इसके फल का स्वाद कड़वा होता .
(वनौषधि चन्द्रोदय आठवां भाग पृ० ३)
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३८४) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में भूयणय शब्द हरितवर्ग में है। चरक में भी जम्बीर तृण हरितवर्ग में आया है इस दृष्टि से भूतृण का अर्थ जम्बीरतृण होना चाहिए।
जम्बीरः कफवातघ्नः, कृमिघ्नो मुक्तपाचनः ।।१६४।।
(चरक संहिता सूत्रस्थान अध्याय २७/१६४ हरितवर्ग पृ० ३३८)
पिप्पली मरिच शृङ्गवेरार्द्रकहिङ्गुजीरककुस्तुम्बरु जम्बीर सुमुख
(सुश्रुत संहिता सूत्रस्थान अध्याय ४६/२२६ पृ० २००)
भेरुतालवण भेरुतालवण ( ) भेरी वृक्षों का वन
देखें भेरुताल शब्द।
जं 2/६
भूयणा भूयणा (भूतृण) जम्बीरतृण
देखें भूयणय शब्द।
भेरुवण भेरुयाल ( ) भेरी वृक्षों का वन जीवा०३/५८१
देखें भेरुताल शब्द।
भ०२१/२१
भेरुताल
मंडुक्कियसाय भेरुताल ( ) भेरी वृक्ष
मंडुक्कियसाय (मण्डुकीशाक) मण्डूकपर्णी शाक ज०२/६
उवा० १/२६ विमर्श-वृक्ष का नाम भेरू है। हिन्दी भाषा में ब्राह्मामदा संभवतः भेरी वृक्ष है। भेरु ताल शब्द आयुर्वेद के कोषों मण्डूकी।स्त्री। मण्डूकपर्ध्याम्। तथा निघंटुओं में नहीं मिलता। ताल अंत वाले कोई भी मण्डूकपर्णी स्त्री। स्वनामख्यातशाके।
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