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जैन आगम : वनस्पति कोश
उत्पत्ति स्थान-पानी के समीप आर्द्रस्थानों में यह उत्पत्ति स्थान-भारत के प्रायः सभी बगीचों में सर्वत्र पाई जाती है।
इसको लगाया जाता है या कृषि की जाती है। विवरण-इसका क्षुप प्रसरी एवं किंचित् मांसल विवरण-मोगरा पुष्पवर्ग और हारसिंगारादि कुल होता है। पत्ते अभिलट्वाकार आयताकार या सुवा के का क्षुप होता है, जो आगे चलकर बहुवर्षायु झाडी में आकार के अखण्ड, अवृन्त, कुण्ठिताग्र, सूक्ष्म काले चिन्हों परिणत हो जाता है। पत्ते बेरी के पत्तों से कुछ छोटे और से युक्त एवं ६ से २५ x २.५ से १० मि.मि. बड़े होते हैं। विशेष रेखावाले होते हैं। मोगरा के पुष्प अपनी खुशबू पुष्प जामुनी मिला हुआ श्वेत या गुलाबी रंग का होता है। के कारण सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। इसकी कई फली ५ मि.मि. लंबी, अंडाकार, चिकनी तथा नुकीली जातियां होती हैं। जैसे, बेलियामोगरा-जिसकी बेल होती है, जिसमें सूक्ष्म बीज होते हैं। इसका स्वाद कड़वा चलती है। वटमोगरा-जिसका फूल गोल होता है। सादा
के समीप होने से इसे जलनीम भी मोगरा-जिसका झाडीनुमा क्षुप होता है। इसके पत्ते गोल कहते हैं। (भाव०नि० गुडूच्यादि वर्ग० पृ० ४६१) और चमकीले हरे होते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुगंधित
और सफेद होते हैं। मोतिया के फूल अधिक गोल होते मगदंतिया मगदंतिया ( ) मालती, मोगरा प० १/३८/२
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० ४६२) मगदंतिया (दे०) मालती का फूल
मगदंतिया गुम्म (पाइअसद्द महण्णव पृ० ६६६) विमर्श-पाइअसद्दमहण्णव में मगदंतिया देशीय मगदतिया गुम्म (मदयंतिका गुल्म) मल्लिका, एक शब्द है और उसका अर्थ मालती किया है। वनस्पति प्रकार का मोतिया, मोगरा। जीवा० ३/५८० ज २/१० शास्त्र में मालती के लिए एक संस्कृत शब्द है मदयन्ति
देखें मगदंतिया शब्द। वह शब्द इसके निकट है। द और ग का व्यत्यय हुआ
मज्जार मदयन्तिका-स्त्री, वनस्पति० मल्लिका।
मज्जार (मार्जार) चित्रक, लाल चित्रक वटमोगरा, कस्तूरमोगरा।
भ० २१/२० प० १/४४/१ (आयुर्वेदीयशब्द कोश पृ० १०३०) मदयन्तिका के पर्यायवाची नाम
मार्जारः ।पुं। रक्तचित्रकक्षुपे। मल्लिका मदयन्ती च, शीतभीरुश्च भूपदी।।३६ ।।
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ८१७) मल्लिका, मदयन्ती, शीतभीरु, भूपदी ये सब मार्जार के पर्यायवाची नाममल्लिका के पर्यायवाची नाम हैं। (भाव०नि० पुष्पवर्ग० पृ० ४६७) कालो व्यालः कालमूलोतिदीप्यो अन्य भाषाओं में नाम
माजरोग्निदाहकः पावकश्च । हिo-मोगरा, मोतिया, वनमल्लिका । मo-मोगरा। चित्राङ्गोयं रक्तचित्रो महाङ्गः गु०-मोगरो। बं०-मोगरा, बेला, वनमल्लिका स्याद्रुद्राहश्चित्रकोन्यः गुणादयः। ता०-अनंगम्। ते०-मले। कर्णा०-वल्लिमल्लिगे। काल, व्याल, कालमूल, अतिदीप्य, मार्जार, अग्नि, उ१०-आजाद, रायबेल, सोसन। अ०-सोसन। दाहक, पावक, चित्राङ्ग, रक्तचित्र तथा महाङ्ग ये सब रक्त अं0-Arabian jasmine (अरबेयन जेसमिन) चित्रक के ग्यारह नाम हैं। ले०-Gasminum Sambac (जसमाइनम सेबेक)।
(राज०नि०व० ६/४६ पृ० १४३)
है।
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