________________
जैन आगम : वनस्पति कोश
217
मा०-धमासो। गु०-धमासो । म०-धमासा | प०-धमाह, उत्पत्ति स्थान-इसके वृक्ष इस देश के विशेष कर धभाहा। फा०-बादाबर्द । अ०-शुकाई। ले०-Fagonia गरम प्रान्तों में एवं हिमालय के निचले भागों में ३५०० arabica linn (फेंगोनिया अरेबिका लिन०) Fam. फीट की ऊंचाई तक, सतलज से पूर्व की ओर आसाम Zygophyllaceae (झाइगोफाइलेसी)।
तक उत्पन्न होते हैं।
भिलावा उत्पत्ति स्थान-यह पंजाब, पश्चिम राजपताना। (राजस्थान) दक्षिण, पश्चिम खान देश, कच्छ, सिंध,
मान, वजीरिस्तान तथा पश्चिम में अफगानिस्तान तक पाया जाता है।
विवरण-इसका क्षुप फीके हरे रंग का अनेक शाखाओं वाला छोटा, फैला हुआ १ से ३ फीट ऊंचा तथा तीक्ष्ण कांटेदार होता है। पत्र विपरीत पत्रक १ से ३ इंच लम्बे, अखंड रेखाकार, दीर्घवृत्ताकार होते हैं। दो पत्र चार कांटे तथा एक पुष्प यह चक्राकार क्रम में एक साथ रहते हैं। पुष्प पत्रकोण में फीके गुलाबी रंग के फूल आते हैं। फल पांचखण्ड वाला तथा शीर्ष पर एक कांटा रहता है। घास के रंग के इसके टुकड़े बाजार में बिकते हैं। इसका स्वाद लुआवदार तथा जल में डालने पर ये चिपचिपे हो जाते हैं।
विवरण-इसका वृक्ष देखने में सुंदर २० से ४० भल्लाय
फीट तक ऊंचा होता है। छाल एक इंच मोटी धूसर रंग
की होती है। छाल पर चोट मारने से उसमें एक प्रकार भल्लाय (भल्लात) भिलावा भ०२२/२ प०१/३५/२
का दाहजनक भूरे रंग का गाढा रस निकलता है, जो भल्लात के पर्यायवाची नाम
वार्निश बनाने के काम में आता है। लकड़ी खाकी मिश्रित भल्लातकः स्मतोऽरुष्को, दहनस्तपनोऽग्निकः।। लालीयक्त सफेदी या भरे रंग की होती है। छोटी-छोटी अरुष्करो वीरतरु भल्लातोऽग्निमुखो धनुः ।।१२८ ।। शाखाओं के नीचे कछ तीक्ष्ण रोवें होते हैं। डालियों के
भल्लातक,अरुष्क, दहन, तपन,अग्निक, अरुष्कर, अंत में सघन पत्ते रहते हैं और वेह से २८ इंच तक लम्बे वीरतरु, भल्लात, अग्निमुख और धनु ये भल्लातक के तथा ५ से १४ इंच तक चौड़े, ऊपर से लट्वाकार पर्याय हैं।
(धन्व०नि०३/१२८ पृ०१७१)
आयताकार एवं सरल धार वाले होते हैं। माघ में पुराने अन्य भाषाओं में नाम
पत्ते गिर जाते हैं और फाल्गुन में नवीन पत्ते निकल आते हि०-भिलावा, भेला। बं०-भेला, भेलातुकी।
हैं | माघ, फाल्गुन में इसका वृक्ष फूलता है किन्तु इसके म०-बिब्बा । गु०-भिलामो । मा०-भिलामो । प-भिलावा,
सिवाय कई बार वृक्षों पर फूल देखने में आते हैं। भेला । क०-गेरकायि । ते०-जिडिचेटु. जीड़ीविटुलु। नन्हें-नन्हें फूलों की मंजरियां आती हैं। पुष्पदल हरापन ता०-शेनको? । मला०-चेर्मर । फा०-बलादुर, बिलादुर। यक्त सफेद या हरापनयुक्त पीले होते हैं। फल एक इंच अ०-हब्बुलकल्व हब्बुल्फहम । अं०-The markingnut
लम्बा तथा पौन इंच चौड़ा चिपटा सा, हृदयाकृति, tree (दी मार्किंग नट ट्री)। ले०-Semecarpus anacar चमकीले काले रंग का तथा चिकना होता है। कच्चे फलों dium linn (सेमेकार्पस् अॅनाकार्डियम् लिन०) Fam.
में दूध जैसा श्वेतवर्ण का रस होता है, जो पकने पर कुछ Anacardiaceae (अॅनाकार्डिएसी)।
गाढा एवं काले रंग का होता है। इस फल का आधा भाग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org