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जैन आगम : वनस्पति कोश
137 नीलपुष्पी तु निर्गुण्डी, शेफाली सुवहा च सा ।।११३।। निष्पाव के पर्यायवाची नाम
सिन्दुवार, श्वेतपुष्प, सिन्दुक, सिन्दुवारक, सफेद निष्पावो राजशिम्बिः स्याद्, राजवल्लकः श्वेतशिम्बिकः । फूल वाले सम्हालू के संस्कृत नाम हैं। निर्गुण्डी, शेफाली निष्पावो यह लोक में राजशिम्बी का बीज अथवा और सुवहा ये नील पुष्प वाले सम्हालू के नाम हैं। भटवासु इस नाम से प्रसिद्ध है। इसके संस्कृत
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३४४) नाम-निष्पाव, राजशिम्बि राजवल्लक, तथा श्वेतशिम्बिक अन्य भाषाओं में नाम
ये सब है।
(भाव०नि०पृ०६४६) हि०-सम्भालू, सम्हालू, सन्दुआर, सिनुआर, अन्य भाषाओं में नामभेउडी । बं०-निशिन्दा । म०-लिंगड, निगड, निर्गुण्डी। हि०-निष्पाव, भटवासु, बल्लार, सेम। प०-बन्न, भरवन, मौरा । गु०-नगोड, नगड। ता०- बं०-मखानसिम। म०-पावटे, वाल। गु०-ओलीया, नोच्चि । म०-करिनोञ्चि । ते०-वाविली, तेल्ला वाविली। ओलियवाल । क०-अवरे। ते०-अनुमूल। ताo-मोचै। क०-बिलिनेक्कि। फा०-पंजंबगुस्त। अ०-असलक। अंo-Flat Bean (फ्लॅट बीन)। ले०-Dolichos lablab अंo-Five leaved chaste Tree (फाइव लिब्ड चेष्ट ट्री) linn (डोलिकोस् लब्लब). leguminosae (लेग्युमिनोसी)। Indian privet (इंडियन प्रिवेट)। ले०-Vitex negundo उत्पत्ति स्थान-यह जंगली तथा कृषित दोनों Linn (वाइटेक्स नेगुण्डो लिन०) Fam. Verbenaceae प्रकार का सभी स्थानों पर होता है। दक्षिण में विशेषरूप (बर्विनेसी)।
से मैसूर में यह अधिक होता है। वरण-इसके बडे-बड़े गल्म प्रायः ६ से २८ फीट विवरण-इसकी लता होती है। पत्ते त्रिपत्रक होते ऊंचे अथवा कभी-कभी बड़े वृक्ष के समान होते हैं। इस हैं। पुष्प सीधे दण्ड पर विभिन्न रंगों के किन्तु विशेषरूप पर श्वेताभ रोमावरण होता है । छाल पतली, चिकनी तथा से गुलाबी और श्वेत होते हैं। फली आयताकार, ३ इंच धूसरवर्ण की होती है। पत्ते सदल तथा ३ से ५ पत्रकों लम्बी तथा ४ से ६ बीजयुक्त होती है। हरी फलियों के से युक्त होते हैं। पत्रक भालाकार, लम्बाग्र, अखण्ड या ऊपर की तैल ग्रन्थियों से दुर्गन्धयुक्त तैल निकलता है। गोल दन्तुर, २ से ५ इंच लंबे, १/२ से १.५ इंच चौड़े इसके अनेक प्रकार बीजों के रंग, आकार आदि के तथा छोटे बड़े आकार के होते हैं। अग्र का पत्रक लंबा अनुसार होते हैं। एवं उसका वृन्त भी लंबा होता है। नीचे के पत्रक या
(भाव०नि०धान्यवर्ग० पृ०६४६) बगल वाले पत्रक छोटे तथा वृन्त के होते हैं। वे ऊपर से हरे तथा नीचे श्वेताभ वर्ण के होते हैं। पुष्प आयताकार
णिरुहा और २ से. इंच लंबी मंजरियों में निकले रहते हैं। ये
णिरुहा ( )
प०१/४८/३ श्वेत या हलके नीले (बैंगनी) रंग के होते हैं। फल छोटे,
देखें निरुहा शब्द गोल १/४ इंच व्यास के तथा पकने पर काले रंग के होते हैं। इसकी जड़ पर एक पराश्रयी वनस्पति पाई जाती है। यह वर्षा काल में होती है तथा अक्टूबर, नवम्बर तक
णीम परिपक्व होने पर इसके कंद को संग्रह कर सुखा कर इसका चूर्ण बना प्रयोग करते हैं।
णीम (नीप) कदम्ब, धाराकदंब। प०१/३६/३ (भाव०नि०. गुडूच्यादि वर्ग पृ० ३४४,३४५) नीप के पर्यायवाची नाम
धाराकदम्बः प्रावृष्यः, पुलकी भृङ्गवल्लभः । णिप्फाव
मेघागमप्रियो नीपः, प्रावषेण्यः कदम्बक: ।।६६ || णिप्फाव (निष्पाव) सेम
धाराकदम्ब, प्रावृष्य, पुलकी, भुंगवल्लभ, मेघागमप्रिय, ठा०५/२०६
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