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जैन आगम : वनस्पति कोश
हिमालय मानते हैं। उत्तर प्रदेश में इसकी विस्तृत पैमाने पुष्पवाली। यहां पीले पुष्प वाली चमेली ग्रहण कर रहे पर खेती की जाती है।
हैं क्योंकि इससे पूर्व सफेद पुष्पवाली चमेली का वर्णन कर दिया गया है।
विवरण-जाती का स्वर्णजाती भेद लिखा हुआ है, जिसमें पीले रंग के पुष्प आते हैं। (भाव०नि० पृ० ४६२)
शेष वर्णन सफेद पुष्प वाली चमेली के समान हैं। इसलिए देखें जातिगुम्म शब्द ।
जातिपुड जातिपुड (जातिपुट) सफेदपुष्प वाली चमेली का दल
रा०. ३० जीवा० ३/२८३ देखें जातिगुम्म शब्द ।
जाती जाती (जाती) गंधमालती, रतेड ५० १/३८/३ जाती-स्वनामख्यातपुष्पवृक्ष, मालव्याम् जातीफल वृक्षे
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ४६१)
विवरण-इसके गुल्म बड़े आरोही तथा फैलने वाले होते हैं। शाखायें धारीदार होती हैं। पत्ते विपरीत संयुक्त तथा २ से ५ इंच लंबे होते हैं। पत्रक संख्या में ७ से ११ अंतिम अग्र का पत्रक बड़ा तथा बगल के पत्रक विनाल तथा अग्र के जोड़े का अधिकार मिला हुआ रहता है। पुष्प सुगंधित सफेद, बाहर से कुछ गुलाबी तथा १.5 इंच तक व्यास में रहते हैं।
(भाव०नि० पुष्पवर्ग पृ० ४६१, ४६२)
प
जातिगुम्म जातिगुम्म (जातिगुल्म) पीले फूल वाली चमेली 365. Aganosma caryophyllice, G. Don. (*. मागी) का गुल्म, स्वर्ण जातिका जीवा० ३/५८० जं. २/१० जाती के पर्यायवाची नामविमर्श-प्रस्तुत दोनों सूत्रों के प्रमाणों में जातिगुम्म
मालती सुमना जाती, हृद्यगन्धा प्रियम्वदा। शब्द दो बार आया है। या तो भूल से दो बार आया है
राजपत्री, रात्रिपुष्पी, चेतिका तैलभाविनी।।१४७३।। या फिर चमेली के दो भेदों के लिए दो बार आया है।
सुमना, जाती, हृद्यगन्धा, प्रियम्वदा, राजपुत्री, चमेली के दो भेद हैं-सफेद पुष्पवाली और पीले रात्रिपष्पी, चेतिका और तैलभाविनी ये पर्याय मालती के
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