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भ० २३/६ प० १/४८/४
चण्डी (स्त्री) चिडोदेवदारौ । शिवलिङ्गन्याम् ।
(वैद्यकशब्द सिंधु पृ० ४१४ ) विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में चंडी शब्द कंदवर्ग के शब्दों के साथ है। इसलिए यहां शिवलिंगी अर्थ ग्रहण कर रहे हैं।
चण्डी के पर्यायवाची नाम
लिङ्गिनी बहुपत्रा स्यादीश्वरी शैवमल्लिका । स्वयम्भू र्लिङ्गसम्भूता,
लिङ्गी चित्रफलाऽमृता । ।४५ ।।
पण्डोली लिङ्गजा देवी, चण्डापस्तम्भिनी तथा । शिवजा शिववल्ली च,
विज्ञेया षोडशाहवया । ।४६ ।।
लिङ्गिनी, बहुपत्रा, ईश्वरी, शैवमल्लिका, स्वयम्भू, लिङ्गसम्भूता लिङ्गी, चित्रफला, अमृता, पण्डोली, लिङ्गजा, देवी, चण्डा, अपस्तम्भिनी, शिवजा तथा शिववल्ली ये सब लिङ्गिनी के सोलह नाम हैं । (राज० नि० ३ / ४६ पृ० ३६, ३७ )
अन्य भाषाओं में नाम
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हि० - शिवलिंगी, ईश्वरलिंगी । बं० - शिवलिंगिनी म० - शिवलिंगी, वाडुबल्ली, पोपटी, कावले चे डोले ।. गु० - शिवलिंगी । क० - पचगुरिया, ईश्वरलिंगी । ते०लिंगड़ोडा। अ० - Bryony (ब्रयोनी) ले० - Bryonia Laciniosa Linn (ब्रायोनिया लेसिनोसा) ।
उत्पत्ति स्थान - बाडों और बगीचों के झाड़ियों में शिवलिंगी की बेलें समग्र भारतवर्ष में होती है ।
विवरण - यह गुडूच्यादि वर्ग और पटोलादि कुल की एकवर्षजीवी आरोही लता होती है, जो वरसात के दिनों में बहुत पैदा होती है। लता में बहुतसी शाखाएं निकली हुई और चारों ओर फैली हुई होती हैं। इसके पत्ते करेले के पत्तों से मिलते हुए होते हैं। फूल सूक्ष्म फीके हरे पीले रंग के हो जाते हैं और उन पर सफेद बिन्दियें होती हैं।
मूल - सुतली से पेन्सिल जितनी मोटी १/२ से १ फीट लंबी और इसमें से निकले हुए भाग मुख्य मूल भी लंबी होती है। मूल फीका भूरा रंग का स्वाद में
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कड़वापन लिये होता है ।
काण्ड और शाखायें - लता चिकनी और चमकीली होती है। शाखायें सुतली जैसी पतली और इन पर खड़ी लाइनें आयी हुई होती हैं। इन लाइनों पर सूक्ष्म कांटे आये हुये होते हैं। इन पर अंगुली फिराने से खुरदरे लगते हैं। स्वाद कड़वापन लिये होता है।
पत्र - एकान्तर और नरम होते हैं। पत्र ३ से ५ या ७ कोण वाले होते हैं। बीच का कोण सबसे लंबा होता
। पत्तों की किनारी दांतेदार होती है। पत्र ऊपर की ओर से हरे और खुरदरे और सफेद रोमावली युक्त होते हैं। नीचे की तरफ से फीके हरे रंग के और चिकने कुछ होते हैं। पत्र १.५ से ४ इंच लंबे और १ से ३ या ४ इंच चौड़े होते हैं। पत्रदंड १ से ३.५ इंच लंबा खुरदरा • और सख्त रोमावली युक्त होता है। पत्र की गंध करेले के पान की गंध के समान और स्वाद फीकापन लिए कड़वा किन्तु पीछे से थोड़ा चरपरा और कड़वा लगता है। तंतु-बारीक और शाखाओं से युक्त होते हैं।
फूल - एक ही पत्रकोण से नर और मादा फूल अलग-अलग निकले हुए होते हैं। उसमें नरफूल ३ से ४ और मादा १ से ३ होते हैं। नरफूल ३, लाइन से १/२ इंच लंबी सूक्ष्म दंडी पर फूल आया हुआ होता है। इसका व्यास ३ लाइन जितना, रंग फीका पीला, गंध कड़वी होती है। पुष्प दंड हरापन लिए पीला और चमकीला होता है और इस पर सफेद सूक्ष्म बालों की रोमावली होती ( धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० २४१)
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चंदण
चंदण (चन्दन) चंदन, सफेद चंदन
भ० २२/३ ओ० ६ रा० ३० जीवा० ३/२८३, ५८३ प० १ / ३६ / ३ चंदन के पर्यायवाची नाम
भद्रश्रियं मलयजं, चन्दनं श्वेतचन्दनम् । भद्रश्रीर्मलयं शीर्षचन्दनं शिशिरं हिमम् । । १२५६ ।। श्वेतश्रेष्ठं गन्धसारं महार्हं तिलपर्णकम् ।।
भद्रश्रिय, मलयज, चन्दन, श्वेतचन्दन, भद्रश्री मलय, शीर्षचन्दन, शिशिर, हिम, श्वेतश्रेष्ठ, गन्धसार,
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