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जैन आगम : वनस्पति कोश
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महार्ह, और तिलपर्ण ये चन्दन (श्वेत चन्दन) के पर्याय हैं।
(कैयदेव नि० ओषधिवर्ग० पृ० २३२) अन्य भाषाओं में नाम
हिo-चन्दन, सफेद चंदन । बं०-चंदन। म०चंदन। क०-श्रीगंधमर । गु०-सुखड। ता०-चंदन मरं। ते०-गंधपुचेक्का। फा०-संदले सफेद। अ०संदेल अव्यज । अं०-Sandal wood (सैन्डलवुड)। ले०Santalum album (सॅन्टॅलम् अॅल्बम्) Fam. Santalaceae (सॅन्टॅलेसी)।
अंशों में पोषक द्रव्यों का शोषण करता है। उद्भेद के कुछ महीने पश्चात् ही इसके मूल आसपास के पेड़ पौधों के मूल में घुस जाते हैं तथा उनसे खाद्य द्रव्यों का शोषण करते हैं। छोटे पौधों को बहुत सावधानी के साथ इतर पोषितृ वृक्षों के साथ पुनः रोपण किया जाता है। यदि सावधानी के साथ रोपण न किया जाए और आस-पास रोपण किया जाय तो स्पाइक नाम के रोग से ये बहुत जल्दी नष्ट हो जाते हैं। इसकी छाल कालापन युक्त भूरे रंग की, अन्तर छाल लाल, लकड़ी तेल युक्त दृढ़ और सारभाग पीलापन युक्त भरेरंग का तथा सगंधित होता है। पत्ते विपरीत, २ से ३ इंच लंबे अंडाकार-लट्वाकार एवं उपपत्र रहित होते हैं। फूल छोटे निर्गन्ध जामुनी रंग के तथा गुच्छों में आते हैं। फल मांसल गोल एवं कृष्णाभ बैंगनी रंग के होते हैं। इसका केवल काष्ठसार की सुंगधित होता है। ____ इसके वृक्ष १८ से २० वर्षों में परिपक्व होते हैं तब तक इसमें काष्ठसार सतह ले २ इंच अन्दर तक विकसित होता है। इस अवस्था में वृक्षों को काटते हैं। बाहर की छाल एवं बाहरी रसकाष्ठ तथा डालियां जो गंध हीन होती हैं, उन्हें फेंक दिया जात है। अंदर के काष्ठसार को करीब २.५ फीट लंबे टुकड़ों में काटकर बंद गोदामों में सूखने के लिए रख दिया जाता है। ऐसा समझा जाता है कि इससे इसकी सुगंध और अच्छी हो जाती है। वृक्ष का तिहाई भाग करीब काष्ठसार होता है।
(भाव० नि० कर्पूरादिवर्ग पृ० १८७)
फल कार
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चंपअ चंपअ (चम्पक) चंपा
देखें चंपकगुम्म शब्द ।
ठा०८/११७/२
उत्पत्ति स्थान-यह मैसुर, कुर्ग, कोयम्बटूर एवं मद्रास के दक्षिणभागों में ४००० फीट की ऊंचाई तक उत्पन्न होता है तथा इसकी उपज भी की जाती है। करीब ६००० वर्ग मील का क्षेत्र इससे व्याप्त है, जिसमें से ८५ प्रतिशत भाग मैसुर एवं कुर्ग में है। कहीं-कहीं वाटिकाओं में भी रोपण करते हैं।
विवरण-इसका वृक्ष सदा हरित २० से ३० फीट ऊंचा एवं अर्धपराश्रयी स्वरूप का होता है। क्योंकि यह दुसरे आसपास के घास, झाडी, क्षुप एवं वृक्षों से कुछ
चपकगुम्म चंपकगुम्म (चम्पक गुल्म) चंपा का गुल्म, पीला चंपा
जीवा० ३/५८० ज० २/१० चंपक के पर्यायवाची नामचपक क पयायवाचा नाम
काकः सुकुमारच, सुरभिः शीतलश्च सः।
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