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( 76 ) विषय .२ भगवान ने मनोस्थिति को जाना .३ नववां निदान कर्म.४ निदान रहित संयम का फल
भगवान के निदान व अनिदान रूप उपदेश को सुनकर बहुत से
साधु और साध्वियों की आत्म-शुद्धि का विवेचन .४ पुरुषों के कष्टों को देखकर स्त्री-जन्म को अच्छा समझकर
स्त्री बनने का निदान किया(क) निदान कर्म करने वाले भिक्षु के स्त्री बनने का अधिकार .४-५ निदान-कुमारों की ऋद्धि को देखकर साधु के निदान
करने के विषय का विवेचन(क) कुमार के धर्म सुनने को अयोग्यता का वर्णन और
निदान कम के अशुभ फल-विपाक का विवेचन (ख) निर्ग्रन्थी के किसी सुन्दर युवती को देखकर
निदान कर्म करने का वर्णन
द्वितीय निदान(ग) निर्गन्धी का निदान कर्म करके फिर देवलोक में
जाने के अनन्तर मानुष लोक में कुमारी बनना (घ) निर्ग्रन्थी के द्वारा कृत निदान कर्म का फल (च) निदान कृत कुमारी की यौवनावस्था और उसके
विवाह का वर्णन (छ) धर्म के श्रवण करने की अयोग्यता और उसका फल
तीसरा निदानसाधु ने किसी सुखी स्त्री को देखकर निदान कर्म करने का संकल्प किया। निदान का फलधर्म सुनने की अयोग्यता और उसके फल का विवेचन छठा निदान कर्मनिदान का फलधर्म सुनने की अयोग्यता और उसके फल का विवेचन अन्यतीर्थियों और निदान कर्म का फल सातवाँ निदान श्रावक के धर्म का विवेचन आठवाँ निदान
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