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माहिल इति गोडा ( ष्ठा ) माहिलो गृह्यते 'पदावयवेऽपि पदसमुदायोपचारात' च शब्द इवार्थे. सचोपमा वाचीं त्रिष्वप्ये तेष्वपि । एतेषां त्रयाणामपि निहवानां [ ५७-५६ ] चरितमावश्य कोपदेशमाला-विवरणाभ्यामवगन्तव्यमिति । उवणओ सबुद्धी (ए) कायव्यो । - धर्मों पू० १३०
क्रोधानल से व्याकुल, गुरु के वचनों के प्रति अश्रद्धा रखने से गोष्ठामा हिल, जमाली तथा रोहगुप्त इन तीनों ने संसार परिभ्रमण किया ।
भगवान् महावीर के शासन में सात निह्नवों में ये तीन निह्नव है ।
धर्मोपदेशमाला में जयसिंह सूरि ने तीर्थ करावली और गणधरावली का तो कथन किया भी है। महावीर स्वामी के शासन में हुए श्रुतस्थविरों की भी परंपरा का कथन किया है। उनमें श्रुतरत्न के महासागर जंबू स्वामी से देव वाचकत्व २४ श्रुतस्थविरो का उल्लेख किया है । उनके साथ में वर्तमान काल में विद्यमान और भविष्यत्काल मैं होनेवाले स्थविरों का भी उल्लेख किया है ।
भगवान् के बड़े भाई का नाम नंदिवर्धन था । उनका विवाह चेटक की पुत्री जेष्ठा के साथ हुआ था। भगवान् महावीर की माता त्रिशला वैशाली गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन थी ।
इन्द्रभूति गौतम गोत्री थे। जैन साहित्य में इनका सुविश्रुत नाम गौतम है । भगवान् के साथ इनके संवाद और प्रश्नोत्तर इसी नाम से उपलब्ध होते हैं । वे भगवान के पहले गणाधर और ज्येष्ठ शिष्य बने । भगवान् ने उन्हें श्रद्धा का संबल और तर्क बल दोनों दिए।
भगवान् महावीर की उत्तरकालीन परम्परा - उत्तरवर्ती परम्परा
भगवान् महावीर के निर्वाण के बाद गौतम स्वामी बारह वर्ष तक जीवित रहे । वीर संवत् बारह में वे मुक्त हुए । उनका जीवन-काल इस प्रकार रहा।
छद्मस्थ
गृहस्थ ५० वर्ष
३० वर्ष
दिगम्बर परंपरा का अभिमत है कि भगवान् के प्रथम उत्तराधिकारी गौतम हुए । श्वेताम्बर परम्परा का अभिमत है कि भगवान के प्रथम उत्तराधिकारी सुधर्मा हुए । वे भगवान् के निर्वाण के बाद बीस वर्ष तक जीवित रहे। उनका जीवन काल इस
प्रकार रहा
गृहस्थ ५० वर्ष
छद्मस्थ
३० वर्ष
१ - आवश्यकचूर्ण, पूर्वभाग, पत्र २४५
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केवली
१२ वर्ष
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केवली
२० वर्ष
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