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________________ ( १९३ ) .४ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे। -अणुत्त• व ३/अ १/सू० ५३, ५४ उस काल उस समय में राजगृह नाम का नगर था। उसके बाहर गुणशैलक नाम का चैत्य-उद्यान था । वहाँ श्रेणिक राजाका राज्य था । उस काल उस समय में भ्रमण भगवान् महावीर उक्त चैत्य में विराजमान हो गये। .५ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे -रिस्थिमियसमिद्धे । गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। धारिणी देवी । x x x ६॥ xxx । सामी समोसढे ॥८॥ -अणुत्त० व १/११/२६,८ उस काल उस समय में राजगृह नगर था । ऋद्धि-सिद्धि से समृद्ध था। गुणशिलक चैत्य था। वहाँ का श्रेणिक राजा था। उसके धारिणी देवी थी। भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। ६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आदिकरे गुणसिलए जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । अंत० व ६/अ २/सू४/6/पृ०५७६ उस काल उस समय में आदिकर भगवान महावीर राजगृह नगर के गुणशीलक चैत्य में पधारे और समय और तप से अपनी आत्मा को भाबित करने लगे। .७ तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णयाकयाइ मोयाओ नयरीओ नंदणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरह, तेणं कालेणं तेणं समए रायगिहे नामं नयरे होत्था-वण्णओ जाव परिसा पज्जुवासह॥ -भग० श ३/७१/० २५.२६ इसके बाद किसी समय श्रमण भगवान महावीर स्वामी मोका नगरी के उद्यान से निकलकर जनपद में विचरने लगे। उसकाल उससमय में 'राजगृह नाम का नगर था । भगवान वहाँ पधारे--परिषद् भगवान की पर्युपासना करने लगी। २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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