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मेतार्य गणधर की अगारपर्याय- गृहस्थपर्याय ( अगारपर्यायः) मेतार्यस्य पत्रिंशत् (वर्षाणि) । मेतार्य गणधर छत्तीस वर्ष गृहस्थ- पर्याय में रहे ।
वर्धमान जीवन - कोश
.६ मेतार्य गणधर की छमस्थ दीक्षा पर्याय
(छद्मस्थपर्यायवर्षाणि) मेतार्यस्य दश
तार्य गणधर साधु-पर्याय में दस वर्ष छद्मस्थ पर्याय में रहे ।
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.७ दीक्षा के पूर्व मेतार्य गणधर का अध्ययन
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मलय टीका - विदन्तीति विदो: - विद्वांसः, चतुर्दशविद्यास्थानपारगमनात् । तानिचतुर्द्दश विद्यास्थानान्यमूनिअंगानि वेदाश्चत्वारो, मीमांसा न्यायविस्तरः । धर्मशास्त्रं पुराणं च विद्याह्य ताश्चतुर्द्दश । तत्रांगानि षट्तद्यथा - शिक्षा कल्पो व्याकरणं निरूक्त छन्दो ज्योतिषं चेति, एष गृहस्थाश्रम उक्तः । - आव० द्वितीय भाग, पृ०३३६
.: मेतार्य गणधर की आयु
(क) (मेयज्जो) विसट्ठिवरिसाऊ
आव० निगा ६४६-५१/टीका
विद्व वंश परंपरा में उत्पन्न होने के नाते - आर्य सुधर्मा ने ऋक - यजुष्, साम और अथर्व – इन चारों वेदों, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द एवं ज्योतिष - इन छहों वेदांगों, मीमांसा, न्याय, धर्मशास्त्र तथा पुराण, आदि सब मिलकर - इन चवदह विद्याओं का सम्यकतया अध्ययन किया। उनके पूर्ण अधिकारी विद्वान बने ।
आव निगा ६५० / टीका
.८ मेतार्य गणधर का केवलिकाल - जिनपर्याय
( केवलिपर्याय ) छद्मस्थपर्यायमगारवा सं च व्यवकलय्य यत् सर्वायुष्कस्य शेषंतत् जिनपर्याय विजानीहि । × × × | मेतार्यस्यषोडश (वर्षाणि),
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- आव० निगा ६५३-६५४
गणधरों को सर्वायु में छद्मस्थ- पर्याय और अगारवास को घटाने से जिन पर्याय - केवल काल जानना चाहिए । मेतार्य की जिनपर्याय - केवलिपर्याय सोलह वर्ष की थी।
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- धर्मो० पृ० २२७
(ख) बावट्ठी चत्ता खलु सव्वगणहराअं एवं ।
- आव० निगा ६५६
मलय टीका — × × × मेतार्यस्य द्वाषष्टिः, प्रभासस्य चत्वारिंशत्, एवं क्रमेण गणधराणी सर्वायुधमिति ।
तार्य गणधर की बासठ वर्ष की आयु थी |१
१ नोट - भगवान् महावीर के परिनिर्वाण के ४ वर्ष पूर्व मेतार्य गणधर का परिनिर्वाण हो चुका था ।
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