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वर्धमान जीवन-कोश .२० इन्द्रभूति का परिनिर्वाण-भगवान् महावीर के पश्चात् :
इन्द्रभूतिः सुधर्मश्च स्वामिनि वीरे निवृते परिनिर्वृतः, तत्रापि प्रथममिन्द्रभूतिः पश्चात्सुधम्मस्वामीः।
-आव० निगा ६५८/टीका भगवान महावीर के परिनिर्वाण के पश्चात् (१२ वर्ष पश्चा) इन्द्रभूति का परिनिर्वाण हुआ।
.२१ गौतम गणधर का श्रुत : सव्वे य महणा जच्चा, सव्ये अज्झावया विऊ। सव्ये दुवालसंगीआ, सव्वे चउदसपुग्विणो ॥६५७॥
-आव० निगा ६५७ इन्द्रभूति गणधर-आदि सब गणधर-सर्व ब्राह्मण कुल में समुत्पन्न थे-प्रशस्त जाति कुलोत्पन्न थे। सब अध्यापक-उपाध्याय थे, विद्वान थे।
सब गणधरों ने स्वल्प रूप से द्वादशांगी का अध्ययन किया। इसके बाद सम्पूर्ण द्वादशांगी- चतुर्दश पूर्व के ज्ञाता थे।
.२२ गौतम गणधर की आयु : (क) वाणउई xxx।
-आव० निगा ६५५ ____टीका-इन्द्रभूतेः सर्वायुर्द्विनवतिर्वर्षाणि (ख) टीका-स्थविरइन्द्रभूतिमहावीस्य प्रथमगणनायकः, स च गृहस्थपर्याय पञ्चाशतं वर्षाणि त्रिंशतं छद्मस्थपर्यायं द्वादश च केवलित्वं पालयित्वा सिद्धि इति सर्वाणि द्विनवतिरिति ।
-सम० सम ६२/टीका स्थविर इन्द्रभूति भगवान् महावीर के प्रथम गणनायक थे। वे गृहस्थपर्याय में पचास वर्ष, छद्मस्थपर्याय में तीस वर्ष तथा केवलिपर्याय में बारह वर्ष रहकर सिद्ध हए। सर्वायु (५०+३०+१२ = ६२) बानवें वर्ष की थी।
.२३ परिनिर्वाण के समय तप : सर्व एव गणधरा मासं यावत् पादपोपगमनगताः
आव०निगा ६५६/मलय टीका इन्द्रभूति के पादोपगमन संथारा एक मास का था।
-आव० निगा ६४५/टीका .२४ द्वितीय अग्निभूति (द्वितीय गौतम) गणधर : .१ अग्निभूति का श्रमण भगवान महावीर के पास आगमन और दीक्षा-ग्रहण : (क) तं च श्रुत्वा प्रत्रजितमग्निभूतिरचिन्तयत्। तेनेन्द्रजालिकेनेन्द्रभूतिनं प्रतारितः ॥१४॥ ___ गत्वा जय.म्यसर्वज्ञमपि सर्वज्ञमानिनम। आनयामि भ्रातरं स्वं माययैव पगजितम !!६५||
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