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वर्धमान जीवन-कोश .६ गौतम स्वामी के छद्मस्थावस्था का एक विवेचन : (क) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठ अंतेवासी इंदभूतीनामं अणगारे 'गोयमसगोत्ते णं' सत्तूस्से हे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभनारायसंघयणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्तनवे तत्ततवे महातवे ओर ले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी 'उच्छृढसरीरे संवित्तविउत्ततेयलेसे चोद्दसपुव्वी चउनाणोवगए सव्वक्वरसन्निवाती समणस्म भगवओ महावीरस्म अदूरसामंते उड्ढंजाणू अहोसिरे झाणकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहग्इ ॥८।
-भग० श १/उ १/ (ख) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जे? अंतवासी इंदभूई णामं अणगार गोतमगोत्तेणं उत्तुस्सेहे समचउरंस-संठाण-संठिए वइररिसहणाराय-संघयणे कणग-पुलग-णिघस-पम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे उरले घोरे घोरगुगे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्त-विउल-तेयलेस्से समणस्स भगवओ महावीरस्त अदूरसामंते उड्ढंजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।
-~-ओव० सू ८२ उस काल उस समय में श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के ज्येष्ठ अर्थात् सबसे बड़े प्रथम शिष्य इन्द्रभूति अनगार थे। उनका गोत्र गौतम था।
उनका शरीर सात हाथ ऊँचा था। उनका संस्थान-समचतुरस्र समचौरस था ।
उनका संहनन-वज्रऋषभ नाराच श । कसौटी पर खींची हुई सोने की रेखा के समान तथा कमल को केशर के समान गौर वर्ण के थे।
वे उग्र तपस्वी, दिप्त तपस्वी, तप्त तपस्वी, महा तपस्वी, उदार, कर्म शत्रुओं के लिए घोर, घोर गुणवाले, घोर तपस्वी, घोर ब्रह्मचर्य के पालन करने वाले, अतएव शरीर-संस्कार के त्यागी थे। ।
दूर दूर तक फैलने वाली विपुल तेजोलेश्या को उन्होंने अपने शरीर में संक्षिप्त कर रखी थी। वे चौदह पूर्व के ज्ञाता थे।
मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनःपर्यव-इन चार ज्ञान के धारक थे और और सर्वाक्षर सन्निपाति थे।
वे श्रमण भगवान् महावोर स्वामी के न बहुत दूर, न बहुत नजदीक, उर्ध्वजानु और अधः शिर होकर अर्थात् दोनों घुटनों को खड़े करके एवं शिर को कुछ नीचे की ओर झुकाकर ध्यान रूपी कोष्ठक में प्रविष्ट होकर संयम और तप ले अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरते थे। (ग) x x x । तेण महावीर भडारएण इंदभूदिस्स अज्जस्त अजखेत्तुप्पण्णस्स चउरमलबुद्धिमंपण्णम्स दितुग्गतत्ततवस्स अणिमादिअट्ठविहविउव्वणलद्धिसंपण्णस्त सव्वट्ठसिद्धिणिवासिदेवेहिंतो अणंतगुणवलस्स मुहुत्तेणेक्केण दुवालसंगत्थगंथाणं सुमरणपरिवादिकरणक्खमस्स सपाणिपत्तणिवदिदग्व्वं पि अमियसरूवेण पल्लट्टावणसमत्थस्स पत्ताहारवसहि-अक्खीणरिद्धिस्स सव्वोहिणाणेण दिवासेसपोग्गलदव्वस्स तवोबलेण उप्पायिदुक्कस्स विउलमदिमणपज्जवणाणस्स सत्तभयादीदस्स खविदचदुकसायरस
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