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वर्धमान जीवन-कोश
उसी समय सौधर्मेन्द्र ने द्वादश गणों के स्वामीपद को प्राप्त हुए गौतम गणधर की अति-भक्ति से दिव्य पूजनद्रव्यों के द्वारा त्रिलोक-नमस्कृत चरण-कमलों को पूजकर, नमस्कार कर और दिव्य गुणों के द्वारा स्तुति करके सब सत्पुरुषों के मध्य में 'ये इन्द्रभूति स्वामी हैं' ऐसा कहकर उनका इन्द्रभूति यह दूसरा नाम रखा ।
•६ इन्द्रभूति के माता-पिता का नाम : (क) इतश्च मगधे देशे गोवरग्रामनामनि। ग्रामे गोतमगोत्रोऽभूद्वसुभूतिरिति द्विजः ।।४।। तस्येन्द्रभूत्यग्निभूतिवायुभूत्यत्रिधाः सुताः। पत्न्यां पृथिव्यामभवंस्तऽपि गोत्रेण गोतमाः ।।५०।।
--त्रिशलाका० पर्व १० मग ५ - मगध देश में-गोवर नामक ग्राम में वसुभूति नामक एक गौतम गोत्रीय ब्राह्मण रहता था। उसके पृथ्वी नाम की स्त्री थी। उसके तीन पुत्र हुए-इन्द्रभूति, अग्निभूति और वायुभूति । जिनका गौत्र गोतम था। (ख) पुहई-वसुभूई-सुओ गणहारी जयड इंदभुइ त्ति। बाणउई-वासाऊ गोव्वरगामुब्भवो पढमो ।।
---धर्मोप० पृ. २०७
इन्द्रभूति की माता का नाम पृथ्वी व पिता का नाम वसुभूति ब्राह्मण था। जन्मस्थान गोवर ग्राम (मगध देश) था । वाणवें वर्ष की आयु थो ।
.७ गौतम गणधर-प्रथम गणधर : (क) पढमो हु उसहसेणो कसरिसेणो य चारुदत्तो य। वजचमरो य वजो चमरो बलदत्तवेदभा।। ___णागो कुंथू धम्मो मंदिरणामा जओ अरिट्ठो य। सेणो चक्कायुधयो सयंभु कुंभो विसावो य ।। मल्लीणामो सुप्पहवरदत्ता सयंभुईदभूदोओ। उसहादीणं आदिमगणधरणामाणि एदाणि ।।
---तिलोप० अधि ४/गा ६६४ से ६६ पढमित्थ इंदभूई बीए पुण अग्गिभूइत्ति
-आव- भाग २ निगा ५६३ मलय टीका-प्रथमोऽत्र गणधरमध्ये इन्द्रभूतिः
इन्द्रभूति-भगवान महावीर के आदि-प्रथम गणधर थे। . (ग्व) एयारह गणहर तहो जायई, इंदभूइ धुरि धरि तणु कायई ।
-~-वढमाणच० मंधि १०/कड४० उन वीरप्रभु के के संघ में ग्यारह सुप्रसिद्ध गणधर हुए। उन सब में इन्द्रभूति-गौतम सर्व प्रथम गणधर थे। .८ साधु-समुदाय में प्रमुख इन्द्रभूति : .. श्रमणम्य भगवतो महावीरस्य इन्द्रभूतिप्रमुखाणि चतुर्दशश्रमणसहस्राणि १४०००
- आव० निगा २८६ श्रमण भगवान् महावीर के १४००० साधुओं में प्रमुख–इन्द्रभूति थे ।
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