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वर्धमान जीवन-कोश
१७१ उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर साहंजनी नगरी में देवरमणोद्यान में पधारे। वहाँ पर धर्मदेशना दी।
तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबीनामं नयरी होत्था-रिद्धथिमियसमिद्धा । बाहिं चन्दोतरणे उज्जाणे। सेयभद्दे जक्खे । x x x तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं महावीरे समोसढे ।
-विवा० श्रु० १/अ ५/सू० २,६ ___ उस काल उस समय में कौशाम्बी नगरी में भगवान महावीर पधारे तथा वहाँ परिषद् के बीच धर्मदेशना दो।
तेणं कालेणं तेणं समएणं महुरा नाम नगरी x x x तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे। परिसा निग्गया राया निग्गओ जाव परिसा पडिगया। -विवा० श्रु० १/अ ६ सू० २, ६
उस काल उस समय में मथुरा नाम की नगरी थी। उस नगरी में श्रमण भगवान महावीर पधारे। परिषद् और राजा भगवान के दर्शनार्थ आये तथा भगवान ने धर्मदेशना दी।
तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे णामं नयरे होत्था x x x ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे (वाणियगामे)। परिसा निग्गता। रायानिग्गओ x x x | धम्मो कहिओ। परिसा पडिगयारायाय गओ।।-विवा० श्रु० २/अ २/सू० ११
श्रमण भगवान् महावीर वाणिज्यग्राम पधारे। वहाँ का मित्र नामक राजा था। भगवान् ने वहाँ धर्मदेशना दी।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुरिमताले नगरे समोसढे। परिसा निग्गया, राया-निग्गओ, धम्मो कहिओ, परिसा राया य पडिगओ।
-विवा० श्रु १/अ ३/सू २, १२ उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर पुरिमताल नगर में पधारे । परिषद्-जनता निकली। महावील राजा भी दर्शनार्थ आया। भगवान् ने धर्म का उपदेश दिया ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं हस्थिसीसे णामं णयरे होत्था x x x तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे। परिसानिग्गया। अदीणसत्त जहा कूणिए तहानिग्गए। सुबाहुवि जहा जम ली तहा रहेण निग्गए जाव धम्मो कहिओ। राया परिसा गया। -विवा० श्रु० १/अ १/सू १२
हस्तिशीर्ष नगर में भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। परिषद् में भगवान् ने धर्मदेशना दी।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए। परिसा निग्गया। तएणं तीसे कालीए देवीए, इमीसे कहाएलट्ठाए समाणीए अयमेयारूवे अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था।
-निर० व १/अ १
उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर चंपा नगरी में पधारे। देव और मनुष्यों की सभा में भव्यों को धर्मदेशना देने लगे। धर्म कथा श्रवण करने के लिए परिषद् निकली।
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