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वर्धमान जीवन-कोश अमरालय - दाहिण - दिसि - भायए भरह - वरिसि सरि - सरयर - सुन्दरेx अइ - विस्थिणु अवंती णामें तहिं उज्जेणिपुरी परि - णिवसइ जा देवाह मि माणइ हरसइ
-वड्डमाणच० संधि ७/कड ह तहिं वज्जसेणु णामेण णिओ हुवउ वज्जपाणि - सम भूरि सउ । वज्जगु सवंधव सोक्खयरो सुन्दरू वज्जालंकरिय · करो।
-वड्डमाणच० संधि ७/ कड १० तहो संजाय सुसीला गेहिणि सोलालय न चंदहो रोहिणि । हंसिणीव वेयक्ख - समुज्ज्वल कुडिलालय - जिय - अलिउल - कज्जल।
मुत्तिवंत जे काल - वसं गय जग्गु मुएविणु सो सुरु जायउ । एयहँ तणतणउ विक्खायउ। अवलोइवि गुणसिरिसंजुत्तउ सइजणणे हरिसेणु पवुत्तउ ।
एक्कहिं दिणि णिवेण सहुं पुत्तं अंतेउर - परियण - संजुत्त । सुयसायर - मुणि - पाय णवेविणु जिणणाहेरिउ धम्मु लएविणु। घत्ता-णिव्वेए जाय - विवेए तेण रज्जे धरि तणुरुहु । पुणु दिक्खिउ उवलक्खिउ तहो समीवे जिणि मणरुहु ।।
-वडमाणच संधि ७/कड ११ सावय-वय -लेविणु मुणिणाहहो पणवेप्पिणु णिज्जिय-रइणाहहो । सम्मईसण - रयण - विराइउ हरिसेणु वि णिय · णिलइ पराइउ ।।
महमइ - मंति उग्ग परिवारिउ अरि ण जाउ सो उगु णिरारिउ ।
घत्ता-सुह कायउ जो वसु जायउ परिणिओ वि ण उ कामहो। जसु ण रमई मणु परि विरमइ रमएविममे उद्दामहो ।
-वड्डमाणच० संधि ७/कड १२ इय तहो राय - लच्छि भुजंतही णरणाहहो वुह - यण - रंजंतहो । सुहयर - सावय - वित्ति - धरंतहो गय - वहु - वरिस हरिसु पजणंतहो । एत्थंतरे विहरंतु समायउ पमय - वणंतरे मुक्क - पमायउ ।
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