________________
पर-परम
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष रखनेवाला। पुं. सुभट । वाया स्त्री वाला । [°व्याजा] वेश्या । °वाया स्त्री [°व्यागस्] परंमुह वि [पराङ्मुख] विमुख । कुलटा । °वाया स्त्री [°व्यापा] अन्तिम | परकीअ समुद्र की स्थिति । °वाया स्त्री [पाता] परकेर । वि [परकीय] अन्य-सम्बन्धी । धूर्त-मैत्री । °वाया स्त्री[°वाया] नृप-कन्या। परक्क ) °वाया स्त्री [°ापागा] मरु-भूमि । °वाया | परक्क न [दे] छोटा प्रवाह । स्त्री [°वाच] कश्मीर-भूमि । वाया स्त्री | परक्त वि [पराक्रान्त] जिसने पराक्रम किया [°वाज्] नृप-स्थिति । °वाया स्त्री [°पात्] | हो वह । अन्य से आक्रान्त । न. पराक्रम, शतपदी, जन्तु-विशेष । °वाया स्त्री [°व्यावा] बल । उद्यम, प्रयत्न । भेरी, वाद्य-विशेष । °विएस पुं [°विदेश] | परक्कम अक [परा+क्रम्] पराक्रम करना । परदेश । °व्वस देखो °वस । °संतिग वि | सक. जाना। आसेवन करना । अक. प्रवृत्ति ["सत्क] परकीय । समय पं. इतर दर्शन । करना। का सिद्धान्त । हुअ वि [°भृत] अन्य से परकम पापराक्रम] गर्त आदि से भिन्न मार्ग । पालित । पुंस्त्री.कोयल । घाय देखो 'घाय। |
पुन. वीर्य, बल, सामर्थ्य । उत्साह । चेष्टा, °धीण देखो "हीण । यत्त वि ["यत्त]
प्रयत्न । शत्रु का नाश करने की शक्ति । परपराधीन । 'हीण वि [°ाधीन] परतन्त्र । आक्रमण, पर-पराजय । गमन, गति । मार्ग । पर° देखो परा = अ ।
परग न [दे. परक] तृण-विशेष, जिससे फूल परं अ [परम्] किन्तु । उपरान्त । केवल । गूंथे जाते हैं । धान्य-विशेष । परं अ [परुत्] आगामी वर्ष ।
परग वि [पारग] परग तृण का बना हुआ । परंग सक [ परि + अङ्ग ] गति करना।।
परगासय वि [प्रकाशक] प्रकाश करनेवाला । परंगमण न [पर्यङ्गन] पाँव से चलना।
परग्घ वि [परार्घ] बहुमूल्य । परंगामण न [पर्यङ्गन] चलाना । परज्ज (अप) सक [परा+जि] हराना । परंतम वि [परतम] अन्य का हैरान-कर्ता । परज्झ वि [दे] पर-वश । परंतम वि [परतमस्] अन्य पर क्रोध करने- परट्ट देखो परिअट्ट = परिवर्त । वाला । अन्य-विषयक अज्ञानी ।
परडा स्त्री [दे] सर्प-विशेष । परंतु अ [परन्तु] किन्तु ।
परदारिअ पुं पारदारिक] परस्त्री-लम्पट । परंदम वि [परन्दम] अन्यपीड़क । अन्य को परद्ध वि [दे] पीड़ित, दुःखित । पतित । शान्त करनेवाला । अश्व आदि को सिखाने- | भीरु । व्याप्त । वाला।
परप्पर देखो परोप्पर । परंपर । वि [परम्पर] भिन्न-भिन्न ।। परब्भवमाण देखो पराभव का वकृ. । परंपरग व्यवहित । पुंन. परम्परा, अवि- | परभत्त वि [दे] डरपोक । परंपरय , च्छिन्न धारा ।
परभाअ ' [दे] मैथुन । परंपरा स्त्री [परम्परा] अनुक्रम, परिपाटी। परम वि. उत्कृष्ट, सर्वाधिक । सर्वोत्तम । अविच्छिन्न धारा, प्रवाह । निरन्तरता । व्यव- अत्यन्त । मुख्य । पुं. मोक्ष । संयम, चारित्र । धान ।
न. सुख । लगातार पाँच दिनों का उपवास । परंभरि वि [परम्भरि] दूसरे का पेट भरने- 8 [°Tर्थ] सत्य पदार्थ, वास्तविक चीज ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org