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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष °उत्थिय । तीर न. सामनेवाला किनारा ।। खूब पान करनेवाला । खूब सूखनेवाला । पुं. °त्त न [°त्व] पार्थक्य । वैशेषिक दर्शन में | प्रावृट् काल का यवास वृक्ष । मद्य-व्यसनी । प्रसिद्ध गुण-विशेष । त्त अ[°त्र] परलोक में । | °वाय वि [°वाद] सुस्थिर । °वाय वि न. जन्मान्तर । 'त्थ अ [१] जन्मान्तर | [°व्यातृ] श्रेष्ठ आच्छादक । पुं. वस्त्र । में । °त्थ देखो 'ट्ठ। 'त्थी स्त्री [स्त्री] °वाय वि [°वात] प्रकृष्ट वहन करनेवाला। परकीय स्त्री । दार पुन. परकीय स्त्री । दारि। पुं. उत्तम जुलाहा । महान् पवन । °वाय वि वि [ दारिन्] परस्त्री-लम्पट । °पक्ख वि | [°व्यागस्] गुरुतर अपराधी । °वाय वि [°पक्ष] भिन्न धर्म का अनुयायी । परिवाइय। [°व्याप] प्रकृष्ट विस्तारवाला । °वाय वि वि [°परिवादिक] पर-निन्दक । परिवाय
[°वाक] जहाँ पर प्रकृष्ट बक-समूह हो वह पुं[°परिवाद] पर के गुण-दोषों का विप्रकीर्ण स्थान । न. मत्स्यपरिपूर्ण सरोवर । °वाय वि वचन । इतर के दोषों का परिकीर्तन । अन्य [°व्याय] श्रेष्ठ वायुवाला। जहाँ पर पक्षियों के सद्गुणों का अपलाप । परिवाय पुं
का विशेष आगमन होता हो वह । पुं. अनुकूल [°परिपात] अन्य का पातन, दोषोद्घाटन- ।
पवन से चलता जहाज। सुन्दर घर । वनद्वारा दूसरे को गिराना । पुटु देखो °उटु । प्रदेश । “वाय वि [°ाबाय] जहाँ पानी का °भव पुं. आगामी जन्म। भविअ वि प्रकृष्ट आगमन हो वह । न. समुद्र का मुंह । [भविक आगामी जन्म से सम्बन्ध रखने- पुं. महासागर । °वाय वि [°व्याज] अन्य के वाला । °भाग पुं. श्रेष्ठ अंश । अन्य का पास-विशेष गमन करनेवाला। प्रार्थनाहिस्सा । अत्यन्त उत्कर्ष । महेला स्त्री.उत्तम परायण । °वाय वि [°पाय] अत्यन्त हीनस्त्री। परकीय स्त्री। यत्त देखो °ायत्त । भाग्य । नित्य-दरिद्र । °वाय वि [°वाप] लोअ, °लोग पुं[लोक] इतर जन, स्वजन
प्रकृष्ट वपनवाला । पुं. कृषक । “वाय वि से भिन्न । जन्मान्तर । °वस वि [°वश] ["पाप] महापापी । हत्या करनेवाला । परतन्त्र । °वाइ पुं[वादिन] इतर दार्श- "वाय पुं [°ापाक] कुम्भकार । मुक्त जीव । निक । °वाय पुं [°वाद] इतर दर्शन, भिन्न पहली तीन नरक-भूमि । °वाय वि [°ापाग] मत । श्रेष्ठ वादी । °वाय पुं [°वाच] सज्जन ।
वृक्ष-रहित । °वाय वि [°वाज्] शत्रु नाशक । वि. श्रेष्ठ वाणीवाला। °वाय वि [ वाज] °वाय पुं [°पाद] महान् वृक्ष, बड़ा पेड़ । श्रेष्ठ गतिवाला । पुं. श्रेष्ठ अश्व । °वाय वि °वाय वि [ पात्] प्रकृष्ट पैरवाला । 'वाय [°ावाय] जानकार, ज्ञानी । °वाय वि वि [°वाच] फलित शालि । °वाय वि [पाक]सुन्दर रसोई बनानेवाला। पुं. रसो- [°ावाप] विशेष भाव से शत्रु की चिन्ता इया । °वाय पुं [°पात] जुआड़ी। अशुभ करनेवाला । पुं. अमात्य । योद्धा । °वाय वि समय । °वाय पुं [°व्याद] ब्राह्मण । वाय
[पात] जो प्रारम्भ में ही सुन्दर हो वह । पुं ["वाय] धनाढ्य तन्तुवाय । °वाय वि 'वाय वि [°वाय] श्रेष्ठ विवाहवाला । °वाय [°वात] प्रकृष्ट समूहवाला । न. सुभिक्ष समय वि [°पाय] जिसकी रक्षा का उत्तम प्रबन्ध हो का धान्य । °वाय [वात] ग्रीष्म समय वह । अत्यन्त प्यासा । पुं. राजा। °वाय का जलधि-तट । °वाय पुं [°व्याच] धूर्त । वि [°व्यात] इतर के पास विशेष वमन करने °वाय वि [°पाय] भनीतिवाला । °वाय वि वाला। पुं. भिक्षुक, याचक । °वाय वि [°वाक] वेदज्ञ । °वाय वि [°पात] दयाल । [°पायस्] दूसरे की रक्षा के लिए हथियार
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