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पकप्पधारि वि [ प्रकल्पधारिन्] 'निशीथ'
सूत्र का जानकार
पकप्पि वि [ प्रकल्पिन्] ऊपर देखो । पकप्पिय वि [ प्रकल्पित] संकल्पित । निर्मित । न. पूर्वोपार्जित द्रव्य । काटा हुआ । पकय वि [ प्रकृत] कार्य में लगा हुआ । पकर सक [प्र + कृ] करने का प्रारम्भ करना । प्रकर्ष से करना । करना । पकर देखो पयर = प्रकर । पकरणया स्त्री [ प्रकरणता] करण, कृति | पकहिअ वि [ प्रकथित ] जिसने कहने का प्रारम्भ किया हो वह ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
पकाम न [ प्रकाम ]अत्यर्थ, अत्यन्त । पुं. प्रकृष्ट अभिलाष ।
पकाव (अप) सक [पच्] पकाना | पकास देखो पयास = प्रकाश ।
पट्टि देखो पट्टि |
पकिरण वि [ प्रकीर्ण] उप्त, बोया हुआ । दत्त | पइण्ण = प्रकीर्ण । पकित्ति वि [ प्रकीर्तित] वर्णित, कथित । पकिदि देखो पगइ = प्रकृति । पकिदि (शौ) देखो पइइ = प्रकृति । पकिरण न [ प्रकिरण] देने के लिए फेंकना । पकुण देखो पकर = प्र + कृ । पकुप्प अक [ प्र + कुप् ] गुस्सा करना । पकुप्पित (चूप ) वि [ प्रकुपित ] क्रुद्ध, कुपित । पकुविअ ऊपर देखो ।
पकुव्व सक [ प्र + कृ, प्र + कुर्वं ] करने का प्रारम्भ करना । प्रकर्ष से करना । करना ।
पकुव्वि वि [प्रकारिन, प्रकुविन्] करनेवाला, कर्ता । पुं. प्रायश्चित्त देकर शुद्धि कराने में समर्थ गुरु । पकूविअ वि [ प्रकूजित ] ऊँचे स्वर से चिल्लाया हुआ ।
को देखो ओ |
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पकप्पधारि-पक्ख
पकोव पुं [ प्रकोप ] गुस्सा ।
पक्क वि [पक] पका हुआ ।
पक्क वि [दे] तृप्त, गर्वित । समर्थ, पक्का, पहुँचा हुआ ।
पक्कं वि [ प्रक्रान्त] प्रस्तुत ।
पक्कग्गाह पुं [दे] मगरमच्छ । पानी में बसनेवाला सिंहाकार जल-जन्तु ।
पक्कण वि[दे] असहिष्णु । समर्थ । पुं. चाण्डाल | एक अनार्य देश । पुंस्त्री. अनार्य देश-विशेष में रहनेवाली एक मनुष्य जाति । पुं. एक नीच जाति का घर, शबर-गृह | ° उल न [° कुल] चाण्डाल का घर । एक गर्हित कुल ।
पक्कणि वि [दे] अतिशय शोभमान । भग्न, भ हुआ । प्रियभाषी ।
पक्कणिय पुंस्त्री. [ दे] एक अनार्य देश में रहनेवाली मनुष्य जाति ।
पक्कन्न न [पक्कान्न] केवल घी में बनी हुई वस्तु, मिठाई आदि ।
पक्कम सक [प्र + कम् ] प्रकर्ष से समर्थ होना । पक्कम सक [प्र + क्रम् ] प्रकर्ष से जाना, चला जाना । अक प्रयत्न होना । प्रवृत्ति होना । पक्कम पुं [ प्रक्रम] प्रस्ताव, प्रसंग | पक्कमणी स्त्री [ प्रक्रमणी ] विद्या - विशेष | पक्कल वि [दे] शक्त ।
दर्प- युक्त, गर्वित ।
प्रौढ |
पक्कस देखो वक्कस |
पक्कसावअ पुं [दे] शरभ । व्याघ्र । पक्काइय वि [पकीकृत ] पकाया हुआ । पक्किर सक [ प्र + कृ] फेंकना । पक्कीलिय वि [ प्रक्रीडित] जिसने क्रीड़ा का प्रारम्भ किया हो वह ।
पक्ख पुं [ पक्ष] वेदिका का एक भाग । पखवारा । शुक्ल और कृष्ण पक्ष । पार्श्व, पाँजर, कन्धा के नीचे का भाग । पक्षियों का अवयवविशेष, पंख । तर्कशास्त्र - प्रसिद्ध अनुमान -
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