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पक्खंत-पक्खोड संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
५०१ प्रमाण का एक अवयव, साध्यवाली वस्तु । । पक्खारिण पुं [प्रक्षारिण] अनार्य देश-विशेष । तरफ, ओर । जत्था, दल, टोली । मित्र ।। पुंस्त्री. उस देश का निवासी मनुष्य । शरीर का आधा भाग। तरफदार । तीर | पक्खाल सक [प्र + क्षालय] शुद्ध करना, का पंख । तरफदारी। °ग वि. पक्ष-गामी, | धोना । पक्ष-पर्यन्त स्थायी। °पिंड पुंन [°पिण्ड] पक्खासण न [पक्ष्यासन] जिसके नीचे अनेक आसन-विशेष-जानु और जाँघपर वस्त्र बाँध | प्रकार के पक्षियों का चित्र हो ऐसा आसन । कर बैठना । य पुं [क]पंख, तालवृन्त । वंत | पक्खि पुंस्त्री [पक्षिन्] पक्षी । 'बिराल पुंस्त्री. वि [°वत्] तरफदारीवाला। 'वाइल्ल वि। पक्षि-विशेष । 'राय पुं [ राज] गरुड । नीचे [पातिन्] पक्षपात करनेवाला, तरफदारी | देखो। करनेवाला । °वाद पुं.[°पात] तरफदारी। पक्खिअ पुंस्त्री [पक्षिक] ऊपर देखो । वि. °वादि (शौ) देखो वाइल्ल । °वाय देखो | पक्षपाती, तरफदारी करनेवाला। °वाद । वाय पुं [°वाद] पक्ष-सम्बन्धी | पक्खिअ वि [पाक्षिक] स्वजन, ज्ञाति का । विवाद । °वाह पुं. वेदिका का एक देश- | पाख में होनेवाला । अर्धमास-सम्बन्धी । न. विशेष । विडिअ वि [°ापतित] पक्षपाती। पर्व-विशेष, चतुर्दशी । पक्खिअ पुं
वाइया स्त्री [वापिका] होम-विशेष । [पक्षिक] जिसको एक पाख में तीव्र विषयापक्खंत न [पक्षान्त] अन्यतर। इन्द्रिय-जात । भिलाष होता हो और एक पक्ष में अल्पपक्खंतर न [पक्षान्तर] दूसरा पक्ष । ऐसा नपुंसक। पक्खंद सक [प्र+स्कन्द्] आक्रमण करना। | पक्खिकायण न [पाक्षिकायन] गोत्र-विशेष दौड़कर गिरना। अध्यवसाय करना।
जो कौशिक गोत्र की एक शाखा है । पक्खंदोलग पुं [पक्ष्यन्दोलक] पक्षी का पक्खिण देखो पक्खि । हिंडोला।
पक्खित्त वि [प्रक्षिप्त] फेंका हुआ । पक्खज्जमाण वि [प्रखाद्यमान] जो खाया | पक्खिनाह पुं पक्षिनाथ] गरुड पक्षी । जाता हो वह ।
पक्खिव वि [प्र + क्षिप्] फेंक देना । त्यागना । पक्खडिअ वि [दे] प्रस्फुरित, विजृम्भित, डालना। समुत्पन्न ।
पक्खीण वि [प्रक्षीण] अत्यन्त क्षीण । पक्खर सक [सं+नाहय्] सन्नद्ध करना, अश्व पक्खुडिअ वि [प्रखण्डित] खण्डित, असम्पूर्ण । को कवच से सज्जित करना।
पक्खुब्भ अक [प्र + क्षुभ्] क्षोभ पाना । वृद्ध पक्खर पुं [प्रक्षर] क्षरण, टपकना।
| होना, बढ़ना। पक्खर पुं [दे] जहाज की रक्षा का एक उप- | पक्खेव प्रक्षेप] शास्त्र में पीछे से किसी के करण, सामग्री । पाखर, घोड़े का कवच । ।
द्वारा डाला या मिलाया हुआ वाक्य । °ाहार पक्खरा स्त्री [दे] अश्व-संनाह ।
पुं. कवलाहार । पक्खल अक [प्र + स्खल] गिरना, पड़ना, पक्खेव । पुं [प्रक्षेप, क] क्षेपण, फेंकना । स्खलित होना।
पक्खेवग ) पूर्ति करनेवाला द्रव्य, पूर्ति के पक्खाउज्ज न [पक्षातोद्य] पखावज, एक
लिए पीछे से डाली जाती वस्तु । प्रकार का बाजा, मृदंग।
| पक्खोड सक [वि + कोशय ] खोलना । पक्खाय वि [प्रख्यात] प्रसिद, विश्रुत । ] फैलाना।
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