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पंताव-पकप्पणा
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष इन्द्रिय-प्रतिकूल । असभ्य, अशिष्ट । अपसद, | पंसु पुं [पशु] कुठार, फरसा । नीच, दुष्ट । दरिद्र । जीर्ण, फटा टूटा। पंसु देखो पसु। विनष्ट । नीरस, सूखा । भुक्तावशिष्ट । पर्यु- पंसुखार पुं [पांशुक्षार] ऊषर लवण । षित, बासी । °कुल न. नीच कुल । °चर | पंसुल पुं [दे] कोयल । जार । वि. रुद्ध । वि. नीरस आहार की खोज करनेवाला | पंसुल पुं [पांसुल] परस्त्री-लम्पट । वि. धूलितपस्वी । °जीवि वि [ जीविन्] नीरस युक्त । आहार से शरीर निर्वाह करनेवाला। हार | पंसुला स्त्री [पांसुला] व्यभिचारिणी स्त्री। वि. रूखा-सूखा आहार करनेवाला। पंसुलिआ स्त्री [दे. पांशुलिका] पार्श्व की पंताव सक [दे] मारना ।
हड्डी। पंति स्त्री [पङ्क्ति] कतार । जिसमें एक पंसुली स्त्री [पांसुली] कुलटा ।
हाथी, एक रथ, तीन घोड़े और पांच पदाती पकंथ देखो पगंथ । हों-ऐसी सेना।
पकंथग पुं [प्रकन्थक] अश्व-विशेष । पंति स्त्री [दे] केश-रचना ।
पकंप पुं [प्रकम्प] काँपना। पंतिय स्त्रीन [पङ्क्ति] श्रेणी।
पकड वि [प्रकृत] प्रस्तुत, प्रक्रान्त, उपस्थित, पंथ पुं [पन्थ, पथिन्] मार्ग ।
असली, सच्चा । निर्मित । पंथ पुं [पान्थ] . मुसाफिर । 'कुट्टण न |
| पकड देखो पगड प्रकट । [°कुट्टन] मार-पीटकर मुसाफिरों को लूटना। पकड्ढ देखो पगड्ढ । °कोट्ट पुं ["कुट्ट] वही अर्थ । °कोट्टि स्त्री
पकड्ढ वि [प्रकृष्ट] प्रकर्ष-युक्त । खींचा हुआ । [°कुट्टि] वही अर्थ ।
पकड्ढण न [प्रकर्षण] आकर्षण, खींचाव । पंथग पुं [पान्थक] एक जैन मुनि ।
पकत्थ सक [ प्र + कत्थ् ] प्रशंसा करना । पंथाण देखो पंथ = पन्थ, पथिन् ।
पकप्प अक [प्र+क्लृप्] उपयोग में आना । पंथिअ पुं [पन्थिक, पथिक] मुसाफिर ।
काटना, छेदना। पंथुच्छुहणी स्त्री [दे] श्वशुर-गृह से पहली
| पकप्प सक [प्र+कल्पय] करना, बनाना । बार आनीत स्त्री।
संकल्प करना। पंपुअ वि [दे दीर्घ, लम्बा।
पकप्प पुं [प्रकल्प] उत्तम आचरण । बाधक पंफुल्ल वि [प्रफुल्ल] विकसित ।
नियम । 'आचारांग' सूत्र का एक अध्ययन । पंफुल्लिअ वि [दे] गवेषित ।
व्यवस्थापन । कल्पना । प्ररूपणा । विच्छेद, पंस सक [पांसय्] मलिन करना।
प्रकृष्ट छेदन । जैन साधुओं का एक प्रकार का पंसण वि [पांसन] कलंकित करनेवाला, दूषण आचार, स्थविरकल्प । एक महाग्रह, ज्यौतिष लगानेवाला ।
देव-विशेष । गंथ पुं [°ग्रन्थ] एक प्राचीन पंसु पुं[पांसु, पांशु धूली, रज । कीलिय, | जैन ग्रन्थ, 'निशोथ' सूत्र । °जइ पुं [यति] "क्कीलिय वि [°क्रीडित] बचपन का दोस्त । 'निशीथ' अध्ययन का जानकार साधु । °धर
वि. 'निशीथ' अध्ययन का जानकार। देखो के कारण पिशाच के तुल्य मालूम पड़ता हो | पगप्प %प्रकल्प। वह । "मूलिय पुं [°मूलिक] विद्याधर, | पकप्पणा स्त्री [प्रकल्पना] प्ररूपणा, मनुष्य-विशेष ।
व्याख्या। कल्पना ।
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