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________________ धवल-धाणूरिअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ४८५ जल । राँगा, सीसा और जस्ता-ये सात वस्तु । गेरु, धवल पुं [दे] स्व-जाति में उत्तम । मनसिल आदि पदार्थ । शरीर-धारक वस्तुधवल न लगातार सोलह दिन का उपवास। कफ, वात, पित्त, रस, रक्त, मांस, मेद, श्वेत । पुं. उत्तम बैल । पुन. छन्द-विशेष । अस्थि, मज्जा और शुक्र । पृथिवी, जल तेज °गिरि पुं. कैलास पर्वत । गेह न. महल । और वायु-ये चार महाभूत । व्याकरण-प्रसिद्ध चंद पुं [°चन्द्र] एक जैन मुनि । °रव पुं. शब्द-योनि,'भू', 'पच्' आदि। स्वभाव, प्रकृति । मंगल गीत । °हर न [°गृह] प्रासाद ।। नाट्य-शास्त्र प्रसिद्ध आलत्तिका-विशेष । 'य धवल सक [धवलय] सफेद करना । वि [°ज] धातु से उत्पन्न । वस्त्र-विशेष । धवलक्क न [धवलार्क] ग्राम-विशेष । नाम, शब्द । वाइअ वि [°वादिक] औषधि धवलण न [धवलन] सफेद करना । आदि के योग से ताम्र आदि को सोना वगैरह धवलसउण पुं [दे] हंस । बनानेवाला, किमियागर । धवला स्त्री. गैया । धाउ पुं [धातृ] पणपन्नि नामक व्यन्तर देवों धवलाअ अक [धवलाय्] सफेद होना। का एक इन्द्र । धवलाइअ वि [धवलायित] उत्तम बैल की | धाउसोसण न [धातुशोषण] आयंबिल तप । तरह जिसने कार्य किया हो वह । न. उत्तम | धाड अक [निर् + सृ] बाहर निकलना । वृषभ की तरह आचरण ।। धाड सक [निर् + सारय्] बाहर निकालना । धवलिम पुंस्त्री [धवलिमन्] सफेदपन । धाड सक [ध्राट] प्रेरणा करना । नाश धवली स्त्री [धवली] श्रेष्ठ गया । करना। धव्व पुं [दे] वेग । धाडय न [ध्राटन] बाहर निकलना । प्रेरणा । धस अक [धस्] धसना । नीचे जाना। प्रवेश नाश । धाडय वि [दे. ध्राटक] डाका डालनेवाला। करना । पुं. 'धस्' ऐसी आवाज, गिरने की धाडाविअ वि [निस्सारित] बाहर निकाला आवाज । हुआ, निर्वासित । धसक्क पुं [दे] हृदय की घबराहट की आवाज । धाडि वि [दे] निरस्त, निराकृत । धसल वि [दे] विस्तीर्ण । धाडिअ वि [निःसृत] बाहर निकला हुआ । धसिअ वि [धसित धसा हुआ। धाडिअ पुं [दे] बगीचा। धा सक [धा धारण करना । धाडिअ वि [निस्सारित] निर्वासित, बाहर धा सक [ध्यै] ध्यान करना, चिन्तन करना । धा सक [धाव्] दौड़ना । शुद्ध करना, धोना। | निकाला हुआ। धाइअ वि [धावित] दौड़ा हुआ। धाडी स्त्री [धाटी] डाकुओं का दल । हमला, धाइअसंड देखो धायइ-संड। आक्रमण, धावा। धाई देखो धत्ती । धाई का काम करने से प्राप्त | धाण देखो धण्ण = धन्य । की हुई भिक्षा। छन्द-विशेष । पिंड पुं| धाणा स्त्री [धाना] धनिया, एक प्रकार का [°पिण्ड] धाई का काम कर प्राप्त की हुई मसाला। भिक्षा। धाणुक्क वि [धानुष्क] धणुर्धर, धनुर्विद्या में धाई देखो धायई। निपुण । धाउ पुं [धातु] सोना, चाँदी, तांबा, लोहा, धारिअ न [दे] फल-भेद । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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