________________
४८४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
धम्मिट्ठ-धवण धम्मिट्ट वि [धर्मीष्ट] धार्मिक जन को प्रिय।। °खील पुं [°कील] मेरु पर्वत । °चर पुं. धम्मिल्ल । पुन [धम्मिल्ल] संयत केश, मनुष्य । °धर पुं. पहाड़ । अयोध्या नगरी का धम्मेल्ल । बँधा हुआ केश, स्त्रियों के बाँधे एक सूर्य-वंशीय राजा। धरप्पवर पुं हुए बाल की 'पटिया या जूड़ा', बीच में फल । [°धरप्रवर] मेरु पर्वत । °धरवइ पुं रखकर ऊपर से मोतियों की या अन्य किसी [धरपति] मेरु पर्वत । धरा स्त्री. भगवान् रत्न की लड़ियों से बँधा हुआ केश-कलाप । विमलनाथ की प्रथम शिष्या। °यल न पुं. एक जैन मुनि ।
[°तल] भू-तल । वइ पुं [°पति] राजा। धम्मीसर पुं [धर्मेश्वर] अतीत उत्सर्पिणीकाल | वट्ठ न [°पृष्ठ] भूमि-तल । हर देखो धर।
में भरतवर्ष में उत्पन्न एक जिन-देव । | धरणिंद पुं [धरणेन्द्र] नाग-कुमारों को दक्षिण धम्मुत्तर वि [धर्मोत्तर गुणी, गुणों से श्रेष्ठ । दिशा का इन्द्र । न. धर्म का प्राधान्य ।
धरणिसिंग पुं [धरणिशृङ्ग] मेरु पर्वत । धम्मोवएसग । वि [धर्मोपदेशक] धर्म का | धरणी देखो धरणि । धम्मोवएसय , उपदेश देनेवाला। धरा स्त्री. पृथिवी । °धर, °हर पुं [°धर] धय सक [धे] पान करना, स्तन-पान करना । पर्वत । धय पुंस्त्री [ध्वजध्वजा, पताका । स्त्री. या।। धराधीस पुं [धराधीश] राजा।
°वड पुं[°पट] ध्वजा का वस्त्र । धराविअ वि [धारित] पकड़ा हुआ । धय पुं [दे] पुरुष ।
स्थापित । धयण न [दे] घर।
धरिअ वि [धृत] धारणा किया हुआ । रोका धयरट्ठ पुं धृतराष्ट्र] हंस पक्षी ।
हुआ। धर सक [५] धारण करना । पकड़ना।
धरिणी स्त्री[धरिणी] भूमि । धर सक [धरय] पृथिवी का पालन करना ।
धरित्ती स्त्री [धरित्री] पृथिवी। धर न [दे] रूई।
धरिम न. जो तराजू में तौल कर बेचा जाय धर पुं. भगवान् पद्मप्रभ का पिता । मथुरा | वह । करजा । एक तरह का नाप, तौल ।। नगरी का एक राजा । पर्वत ।
धरिस अक [धृष्] संहत होना, एकत्रित होना। °धर वि. धारण करनेवाला।
प्रगल्भता करना, ढीठाई करना। मिलना, धरग्ग पुं [दे] कपास ।
संबद्ध होना । सक. हिंसा करना, मारना। धरण पुं. नाग-कुमार देवों का दक्षिण-दिशा का | अमर्ष करना, सहन नहीं करना । इन्द्र । यदुवंशीय राजा अन्धक-वृष्णि का एक | धरिस सक [धर्षय] क्षुब्ध करना, विचलित पुत्र । श्रेष्ठि-विशेष । न. धारण करना । | करना। सोलह तोले का एक परिमाण । धरना देना, | धरिसण न [धर्षण] परिभव, अभिभव । लंघन-पूर्वक उपवेशन । तोलने का साधन । | संहति । असहिष्णुता । हिंसा, बन्धन, योजन । वि. धारण करनेवाला । °प्पभ पुं [प्रभ] प्रगल्भता, धृष्टता, ढीठाई । धरणेन्द्र का उत्पात-पर्वत ।
धव पुं. पति । वृक्ष-विशेष । धरणा स्त्री. देखो धारणा।
धवक्क अक [दे] धड़कना, भय से व्याकुल धरणि स्त्री.पृथिवी । भगवान् अरनाथ की शासन- होना, धुकधुकाना। देवी । भगवान् वासुपूज्य की प्रथम शिष्या। धवण न [धावन] चावल भादि का धावन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org