________________
जंक्खरत्ति-जगुत्तम संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष समुद्र-विशेष । श्वान । कद्दम पुं [कर्दम] जक्खी स्त्री [याक्षी] लिपि-विशेष । केसर, अगर, चन्दन, कपूर और कस्तूरी का जक्खुत्तम पुं [यक्षोत्तम] यक्ष-देवों को एक समभाग मिश्रण । द्वीप-विशेष । समुद्र-विशेष। अवान्तर जाति ।
गह पुं[ग्रह] यक्षावेश, यक्षकृत उपद्रव । जक्खेस पुं [यक्षेश] यक्षों का स्वामी । °णायग पु [°नायक] कुबेर । °दित्त न भगवान् अभिनन्दन का शासन-यक्ष । [°दीप्त] देखो नीचे °दित्तय। °दिन्ना जग न [यकृत्] पेट को दक्षिण-ग्रन्थि । स्त्री [°दत्ता] महर्षि स्थूलभद्र की बहिन, जग पुं [दे] जन्तु. जीव, प्राणी। एक जैन साध्वी । भद्दपु [°भद्र] यक्षद्वीप जग पुंन [जगत्] जीव । न. दुनिया । गुरु पुं. का अधिपति देव-विशेष । मंडलप-विभत्ति । जगत् में सर्वश्रेष्ठ पुरुष । जगत् का पूज्य । स्त्री [°मण्डलप्रविभक्ति] एक तरह का | जिन-देव, तीर्थकर । जीवण वि [°जीवन] नाट्य । °मह पुं. यक्ष के लिए किया जाता | जगत् को जिलानेवाला । पुं. जिन-देव । णाह महोत्सव । °महाभद्द पुं [°महाभद्र] यक्ष | पुं. [°नाथ] जगत् का पालक, परमेश्वर, द्वीप का अधिपति देव । °महावर पं. यक्ष | जिन-देव । °पियामह पुं. [ °पितामह ] समुद्र का अधिष्ठाता देव-विशेष । 'राय पुं| ब्रह्मा, विधाता। जिनदेव । °प्पगास वि [राज] यक्षों का राजा, कुबेर । प्रधान [प्रकाश] जगत् का प्रकाश करनेवाला, यक्ष । एक विद्याधर राजा। °वर पुं. यक्ष- | जगत्प्रकाशक । पहाण न [प्रधान] जगत् समुद्र का अधिपति देव-विशेष । °ाइट्ट वि | में श्रेष्ठ । [विष्ट] यक्षाधिष्ठित । दित्तय, | जगई स्त्री [जगतो] प्राकार, दुर्ग । पृथिवी । आलित्तय न [ दिप्तक] कभी-कभी किसी | जगईपव्वय पं [जगतीपर्वत] पर्वत-विशेष । दिशा में बिजली के समान जो प्रकाश होता | जगजग अक [चकास्] चमकना, दीपना। है वह, आकाश में व्यन्तर-कृत अग्नि-दीपन । जगड सक [दे] कलह करना । कदर्थन करना, आकाश में दीखता अग्नियुक्त पिशाच । वेस पीड़ना । उठाना, जागृत करना । पुं [°ावेश] यक्ष का मनुष्य-शरीर में प्रवेश । जगडण वि [दे] झगड़ा करानेवाला । कदहिव पुं [°ाधिप] वैश्रमण । एक विद्याधर र्थना करानेवा राजा। °हिवइ पुं [धिपति] देखो | | जगडणा स्त्री [दे] झगड़ा, कलह । कदर्थन, पूर्वोक्त अर्थ।
पीड़न । जक्खरत्ति स्त्री [ दे. यक्षरात्रि ] दीवाली,
जगडिअ वि [दे] विद्रावित, कथित । लड़ाया
हुआ। कात्तिक वदि अमावस का पर्व ।
जगर पुं. संनाह, कवच । जक्खा स्त्री [यक्षा] एक प्रसिद्ध जैन साध्वी,
| जगल न [दे] पङ्कवाली मदिरा, मदिरा का जो महर्षि स्थूलभद्र की बहिन थी।
नीचला भाग। ईख की मदिरा का नीचला जक्खिंद पुं [यक्षेन्द्र] यक्षों का स्वामी । भाग । भगवान् अरनाथ का शासनाधिष्ठायक देव । | जगार पुंदे] राब । जखिणी स्त्री [यक्षिणी] यक्ष-योनिक स्त्री, | जगार पुं [जकार] 'ज' वर्ण । देवियों की एक जाति । भगवान् श्रीनेमिनाथ | जगार पुं [यत्कार] 'यत्' शब्द । की प्रथम शिष्या।
जगारी स्त्री. एक प्रकार का क्षुद्र अन्न । जक्खिणी स्त्री [यक्षिणी] देखो जक्खा । जगुत्तम वि [जगदुत्तम] जगत्-श्रेष्ठ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org