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कषाय
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१ कषायों में परस्पर सम्बन्ध ।
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कषायके भेद व लक्षण
कषाय सामान्यका लक्षण ।
कमायके भेद प्रमेद |
निक्षेपकी अपेक्षा कषायके भेद |
कमाय मागंणाके भेद ।
नोकषाय या प्रकषायका लक्षण ।
कषाय मार्गणाका लक्षण ।
तीव्र व मन्द कषायके लक्षण व उदाहरण । आदेश व प्रत्यय आदि बायो
।
क्रोषादिव अनन्तानुबन्ध्यादिके लक्षण ।
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कषाय निर्देश व शंका समाधान
- दे० वह वह नाम ।
कमाय व नोकपायमें विशेषता।
कषाय नोकषाय व अकषाय वेदनीय व उनके बन्ध योग्य परिणाम | -३० मोहनीय || कषाय अविरति व प्रमादादि प्रत्ययों में भेदाभेद ।
- दे० प्रत्यय / १ । इन्द्रिय कपाय व क्रियारूप भावमें अन्तर ।
-३० किया।
कषाय जीवका गुण नहीं विकार है । कायका कथंचित् स्वभाव व विभावपना तथा सहेतुक अहेतुकपना | कृपाय भोविक भाव है।
कषाय वास्तव में हिंसा है ।
मिथ्यात्व सबसे बड़ी काय है।
-दे० विभाव । -३० उदय है। - दे० हिंसा / २
० मध्यादर्शन।
व्यक्ताव्यक्त कषाय ।
-दे० राग / ३ ।
जीव या द्रव्य कर्मको क्रोधादि संज्ञाएँ कैसे प्राप्त हैं । निमित्तभूत भिन्न द्रव्योंको समुत्पत्तिक कषाय कैसे कहते हो ।
कषायले अजीव द्रव्यों को कषाय कैसे कहते हो । प्रत्यय व समुत्पतिक कषायमें अन्तर
प्रदेश कषाय व स्थापना कषायमें अन्तर ।
कषाय निग्रहका उपाय ।
- दे० संयम / २ | चारों गतियोंमें कषाय विशेषों की प्रधानताका नियम।
३.
१ कपायोंकी शक्तियोंके दृष्टान्त में उनका फल |
२
उपरोक वृष्टान्त स्थितिकी अपेक्षा है अनुभागकी अपेक्षा नही ।
उपरोक्त दृष्टान्तोका प्रयोजन ।
क्रोधादि कशयोंका उदयकाल ।
कपायों की शक्तियाँ, उनका कार्य व स्थिति
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
अनन्तानुबन्धी भादिका वासनाकाल ।
- दे० वह वह नाम । कपायों की तीव्रता मन्दताका सम्बन्ध लेख्याओंसे है अनन्तानुबन्ध्यादि अवस्थाओंसे नहीं। अनन्तानुवन्धी भादि कषायें – दे० मह नह नाम कषाय व लेश्या में सम्बन्ध | -०२। कषायोकी तीव्र मन्द शक्तियोंमें सम्भव लेश्याएँ । - ३०/३/१९
कैसी कपायसे कैसे कर्मका बन्ध होता है। - दे० वह वह कर्मका नाम कौन-सी कषायसे मरकर कहाँ उत्पन्न हो ।
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कषाय
- दे० जन्म /५ कषायोकी बन्ध उदय सत्व प्ररूपणाएँ ।
कषाय व स्थिति बन्धाध्यवसाय स्थान |
- दे० वह वह नाम
कषायका रागद्वेषादिमें अन्तर्भाव राग-द्वेष सम्बन्धी विषय । नयोंकी अपेक्षा अन्तर्भाव निर्देश नैगम व संग्रहनयकी अपेक्षा युक्ति । व्यवहारनयकी अपेक्षा युक्ति । जुन की अपेक्षा में युक्ति ।
शन्दनयकी अपेक्षामें युक्ति ।
संज्ञा प्ररूपणाका काय मार्गणाने अन्तर्भाव ।
-दे० अध्यवसाय
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- दे० राग
-६० मार्गमा
कपाय मार्गणा
गनियों की अपेक्षा कपायोंकी प्रधानता । गुणस्थानोंमें कषायों की सम्भावना
साबुको कदाचित् कषाय आती है पर वह संयमसे च्युत नही होता। -दे० संयत / ३ अप्रमत्त गुणस्थानोंमें कषायोंका अस्तित्व कैसे सिद्ध हो ।
उपशान्तकपाय गुणस्थान कषाय रहित कैसे है। कषाय मार्गणा में भाव मागंवाकी इष्टता और वहाँ श्रायके अनुसार ही व्ययका नियम ३० मार्गणा कषायों में पाँच भावों सम्बन्धी शोध श्रादेश प्ररूपणाएँ ।
- दे० भाव
काय विषय सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, - दे० वह वह नाम
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भाव व अल्पबहुत्व प्ररूपणाएँ । कपाय विषयक गुणस्थान, मागंणा, जीवसमास आादि २० प्ररूपणाएँ । कषायमागंणा में बम्ध उदय सत्व प्ररूपणाएँ ।
-दे० स
-- दे० वह वह नाम
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