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गणधर वलययंत्र
५१. स्वयंभूः ५२. भगदेव; ५३. भगदत्त; ५४; भगफल्गु; ५५. गुप्तफल्गु; २६ मित्रन् ५० प्रजापति: २८ सर्व संच ५१. रु ६०. धनपालक ६१. मघवान्; ६२. तेजोराशि, ६३. महावीर ६४. महारथ; ६५. विशालाक्ष, ६६. महाबाल; ६७. शुचिशाल, ६८. वज्रः ६६. वज्रसार: ७०. चन्द्रचूल : ७१. जय, ७२. महारस; ७३ कच्छ ७४ महाकच्छ, ७५, नमि; ७६. विनमि, ७७ बल ७८ अतिबल ७६. भद्रबल ८० नन्दी, ८१. महीभागी; ८२. नन्दिमित्र ८३. कामदेव; ८४. अनुपम । इस प्रकार भगवान् ऋषभदेवके चौरासी गणधर थे ।
४. भगवान् महावीरके ११ गणधरोंके नाम
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ह. पू./१/४१-४३] इन्द्रभूतिरिति प्रोत प्रथमो गणधारिणाम् । अग्निभूति द्वितीयच वायुतिस्तृतीयक ॥४१॥ शुचिदत्तस्तुरीयस्तु सुधर्म' पञ्चमस्ततः । षष्टो माण्डव्य इत्युक्तो मौर्यपुत्रस्तु सप्तमः ॥ ४२ ॥ अष्टमोऽकम्पनाख्यातिरपलो नवमो मतः । मेदाय दशमोऽन्त्यस्तु प्रभास सर्व एव ते |४३| उन ग्यारह गणधरो में प्रथम इन्द्रभूति थे । फिर २ अग्निभूति, ३ वायुभूति ४ शुचिदत्त ५. सुधर्म ६. माण्डव्य, ७ मौर्यपुत्र, अकम्पन ६. अचल: १०. मैदार्य और अन्तिम प्रभास थे। ( म. पु. / ७४ / ३४३-३७४ )
५. उक्त ११ गणधरोंकी आयु
म. पु / ६०/ ४८२-४८३ वीरस्य गणिनां वर्षाण्यायुद्वनवतिश्चतु । विशतिः सप्रति स्थादशीतितमेव ४२ प्रयोऽशीतिथ नमतिः भि. साहसति द्वाभ्यां च सप्तति पतित्वारिंशन संयुताः १४८३॥ महावीर भगवान् गणधरोंकी आयु कम २ वर्ष २४ वर्ष, ७० वर्ष ८० वर्ष, १०० वर्ष वर्ष १५ वर्ष, ७८ वर्ष ७२ वर्ष
६० वर्ष और ५० वर्ष है
★ २४ तीर्थंकरोंके गणधरोंकी संख्या -- दे० तीर्थंकर / ५ ।
* गणधरका दिव्यध्वनिमें स्थान - दे० दिव्यध्वनि । गणधर वलययंत्र - दे० यत्र
।
गणना - संख्यात, असंख्यात व अनन्तकी गणना- दे० वह वह
नाम |
गणनानंत - Numerical infinite (ज. प . / १०६ ) |
गणनाप्रमाणगणित / १ ।
गणपोषणकाल - दे० काम/१। गणोपग्रहण क्रिया दे० संस्कार/२
गणित - यद्यपि गणित एक लौकिक विषय है परन्तु आगम के करणायोग विभागमे सर्वत्र इसकी आवश्यकता पड़ती है। कितनी ऊँची श्रेणीका गणित वहाँ प्रयुक्त हुआ यह बात उसको पढ़ने से ही सम्बन्ध रखती है । यहाँ उस सम्बन्धी ही गणितके प्रमाण, प्रक्रियाएँ व सहनानी आदि संग्रह की गयी है।
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- १. दे० प्रमाण / ५ । २० गणना प्रमाण निर्देश- दे०
1 गणित विषयक प्रमाण
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३ गणित प्रक्रियाओंकी अपेक्षा सहनानियाँ
परिकर्माष्टकको अपेक्षा सहनानियो ।
लघुरिक्थ गणितकी अपेक्षा सहनानियों । श्रेणी] गणितकी अपेक्षा सहनानियाँ
षट् गुणवृद्धि हानिकी अपेक्षा सहनानियों ।
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३-४
५-६
द्रव्य क्षेत्रादिके प्रमाणोंका निर्देश
संख्याको अपेक्षा द्रव्य प्रमाण निर्देश । संख्यात, असंख्यात व अनन्त --दे० वह वह नाम । लौकिक व लोकोत्तर प्रमाणोंके भेदादि - दे० प्रमाण / ५१ तौकी अपेक्षा इन्यप्रमाण निर्देश ।
क्षेत्रके प्रमाणोंका निर्देश ।
राजू विषयक विशेष विचार सामान्य कालप्रमाण निर्देश ।
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उपमा कालप्रमाण निर्देश ।
उपमा प्रमाणकी प्रयोग विधि |
यक्ष प्रादि प्रमाणोंकी अपेक्षा सहनानियाँ
लौकिक संख्याओंकी अपेक्षा सहनानियों अलौकिक संख्याओं की अपेक्षा सहनानियों । द्रव्य गणनाको अपेक्षा सहनानियाँ । पुद्गलपरिवर्तन निर्देशकी अपेक्षा सह० । एकेन्द्रियादि जीवनिर्देशकी अपेक्षा सह० । कर्म व स्पर्धकादि निर्देशकी अपेक्षा सह० । क्षेत्र प्रमाणों की अपेक्षा सहनानियाँ। कालप्रमाणोंकी अपेक्षा सहनानियों ।
II गणित विषयक प्रक्रियाएँ
परिकर्माष्टक गणित निर्देश
अंकों की गति वाम भागसे होती है। परिकर्माष्टकके नाम निर्देश ।
संकलन व व्यकलनको प्रक्रियाएँ।
--दे० राजू ।
अक्षर व अंकक्रमकी अपेक्षा सहनानियाँ
अक्षर क्रमकी अपेक्षा सहनानियों
अंककमकी अपेक्षा सहनानियों।
आंकडों की अपेक्षा सहनानियाँ ।
कर्मोकी स्थिति न अनुभागकी अपेक्षा सह० ।
गणित
गुणकार व भागहारकी प्रक्रियाएँ । विभिन्न भागहारोका निर्देश वर्ग व वर्गमूलको प्रक्रिया।
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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--दे० संक्रमण |
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