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काल
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६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाएँ
विषय पद विशेष
नानाजीवापेक्षया मूल प्रकृति
उत्तर प्रकृति
एकजीवापेक्षया
उत्तर प्रकृति
विषय
मूल प्रकृति
२ स्थिति
१२. अष्ट कर्मके चतुःसंक्रमण सम्बन्धी ओघ आदेश प्ररूपणा
(ध. १५/२८३-२८४) चारों भेद सर्वविकल्प
( देखो वहाँ ही) १३. अष्ट कर्मके चतुःस्वामित्व ( सत्त्व ) सम्बन्धी ओघ आदेश प्ररूपणा चारों भेद सर्वविकल्प
( देखो 'स्वामित्व') १४. मोहनीयके चतुः सत्त्व विषयक ओध आदेश प्ररूपणा
___(क०पा०/पु.../S--:/पृष्ठ नं....) | प्रकृति ( जघन्य उत्कृष्ट पद पेज्ज दोष अपेक्षा १/३१० /४०५-४०६
१/३48-३७२/३८६-३८६) प्रकृति अपेक्षा २/८१-६८/७१-७३ | २/१८३- १७१-१७३ | २/४८-६३/२७-४४ २/११८-१३७/६१-१२३
२४-२८ प्रकृति स्थानापेक्षा २/३७०-३७७/३३४-३४४ २/३७०-३७७/३३४-३४४ २/२६८-३०७/२३३-२८१ / २/२६८-३०७/२३३-२८१ | भुजगारादि पद । प्रकृतिकी अपेक्षा | २/४६०-४६३/४१४-४१६ | २/४६०-४६३/४१४-४१६ | २/४२२-४३७/३८७-३६७ | २/४२२-४३७/३८७-३६७ (हानि वृद्धि पद
प्रकृतिकी अपेक्षा | २/५२५-५२८/४७०-४७५ / २/१२५-५२८/४७०-४७५ | २४८६-४६७/४४२-४४८ | २/४८६-४६७/४२२-४४८ जघन्य उत्कृष्ट पद पेज दोष अपेक्षा प्रकति अपेक्षा
३/१४२-१५४/१६०-१८७ | ३/६४७-६७२/३८७-४०६ ३/४४-८२/२५-४७ ३/४७७-५३७/२६६-३१६ २४-२४प्रकृति स्थानापेक्षा भुजगारादि पद प्रकृति अपेक्षा ३/२१३-२१७/१२१-१२३/४/१२६-१४२/६७-७४ | ३/१७४-१८७/६८-१०८ ४/२५-७०/१४-४२ हानि वृद्धि पद प्रकृति अपेक्षा
| ३/३१४-३२७/१७५-१८०४/ २५१-२६० ३ /२४१-२७२/१४१-१४६/४/२७४-३१४/१६४-१६१ |३ अनुभाग जघन्य उत्कृष्ट पद
पेज्ज दोष अपेक्षा प्रकृति अपेक्षा | १/१२१-१३०/७७-८५ | /३६८-३६०/२३३-२४० | ५१२६-५६/२०-४३ | ५४२७७-३२०/१८५-२०१ २४-२८प्रकृति स्थानापेक्षा भुजगारादि पद प्रकृति अपेक्षा १४१५७-१८/१०४-१०५२५०१-५०४/२६३-२६५ /१४३-१४६/६३-६६ /४७६-४८०/२७६-२८० हानि वृद्धि पद प्रकृति अपेक्षा ५१८२- (१२२-१२३ ५/५५८-५६१/३२४-३२६ | १/१७२-१७३/११४-११६ ५३६-५३६/३०१-३१२ जघन्य उत्कृष्ट पद पेज दोष अपेक्षा प्रकृति अपेक्षा २४-२८प्रकृति स्थानापेक्षा भुजगारादि पद प्रकृति अपेक्षा हानि वृद्धि पद प्रकृति अपेक्षा
ولع سی
४/प्रदेश
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