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प्रमाण
एकजीवापेक्षया
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मार्गणा
गुण | प्रमाण | स्थान नं०/१/०२ जघन्य
नानाजीमापेक्षया विशेष । उत्कृष्ट
विशेष
नं०/ १
०
/३/
जघन्य
विशेष
विशेष
३२३३२४
१ समय १जीववद
जघन्यवर
अन्तम ० प्रवाहक्रम | ३२५
(जघन्यवद), ३२६
१ समय यथा योग्०, आरोहण व अवरोह अन्तर्मुहूर्त क्रममें मरणस्थान वालाभंग
(दे० काल/) मूलोघवत
३२७
।
मूलोधवत्
३२७
३२८
सासादन २ । सम्यग्मिथ्यात्व ३ ।
मिथ्यादृष्टि १ । ३२६ १३ संशी मार्गणा संज्ञी
३२६
५२-५३| सर्वदा | विच्छेदाभाव
सर्वदा विच्छेदाभाव
२०
परिभ्रमण
असंही
२०६ २०८
एकेन्द्रियोंमें परिभ्रमण
२०६
संज्ञी
शुद्रभव भव परिवर्तन सागर शत
पृथक्त्व | अर० पु.
परिवर्तन अन्तमुं० भव या गुणस्थान परिवर्तन सागर शत
पृथक्त्व मूलोधवत् शुद्रभव भव परिवर्तन
असे० पु०
परिवर्तन
परिभ्रमण
२-१४ | ३३३ -
१ ३३४
।
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
३३२ - - |- | मूलोधवद
सर्वदा। विच्छेदाभाव सर्वदा विच्छेदाभाव ३३५
असंही
एकेन्द्रियोंमें परिभ्रमण
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१४ आहारक मार्गणा
आहारक
१४-१५ सर्वदा | विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव
२११-३समय कम
अद्रभव १समय
असंख्याता
संख्यात असं.उत्.अवसर्पि ३ समय
अनाहारक
विग्रह गति
विग्रह गति
आहारक
१
। ३३७
२३८
"
अन्तर्मुहूर्त
अयोग केवली | गुण स्थान या भव परि- असं.उत.अवसर्पि १समयके विग्रह सहित भ्रमण
वर्तन कर विग्रह
मूलोघवव मारणान्तिक समुद्घात ३समय जघन्यवत पर ३ विग्रहसे जन्म पूर्वक १ विग्रहसे जन्म एक विग्रहसे जन्म २ समय
२ विग्रहसे उत्पन्न
अनाहारक (कार्मा.काययोग)
मूलोघवत
३४० सर्वदा| विच्छेदाभाव सर्वदा विच्छेदाभाव २१८
२९६ १ समय एक जीववव | आ०/- जघन्यवद २२२
१ समय
६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाएं
२२३ २२६ ।
३ समय
प्रवाह "
.
सं.
जधन्यवर
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३ समय । कपाटसे क्रमशः प्रतर, , ३ समय
लोकपूर्ण
पुनः प्रतर मूलोधवत
मूलोधवत्