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५५ गावापक्षया
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मार्गणा
नानाजोवापेक्षया विशेष उत्कृष्ट विशेष
काल
प्रमाण नं०१
२०२ जधन्य
| जघन्य ।
विशेष
___ उत्कृष्ट
विशेष
-१७ | सर्वदा | विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव
पाँचों मनोयोगी ., वचन योगो काय योगी सा
योग परिवर्तनकर मरण व | अन्तर्मुहुर्त व्याघात
| योग परिवर्तन
१००- अन्तमुं०
औदारिक...
१०३
१समय
१०४
औदारिक मिश्र
१०६१०७
| इससे कमकाल परिभ्रमणका आ. असं. पु. एकेन्द्रियों में परिभ्रमण अभाव
परिवर्तन योग परिवर्तनकर मरण या | २२००० वर्ष
पृथिवी कायिकोंमें परिभ्रमण व्याघात दण्ड कपाट समुद्धातमें |
पूर्व भवोंमें इतना ही उत्कृष्ट है|
अधिक नहीं योग प्राप्तकर मृत्यु या व्याघात मिश्र योगमें मरण नहीं | असमुहूर्त इससे अधिक काल अवस्थावका अभाव
वैक्रियक
"
वैक्रियक मिश्र
१०६
तर्मु०
१५-२० अन्तर्मु. २ विग्रह सहित | पत्य/ रविग्रहसहित
| देवों में उत्पत्ति- असं देवोंमें उत्प
का प्रवाह क्रम त्तिका प्रवाह
२१०
...
आहारक
२१-२३
२१-२३ १ समय एक जीववत्
अन्तर्मु एक जीववव
१०६-.
समय
| योग प्राप्तकर दूसरे समय अन्तर्मुहूर्त
शरीर प्रवेश
१०७ १०६
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
अधिकसे अधिक इतने काल पश्चात शरीर प्रवेश
आहारक मिश्र
२४-२६ अन्तर्मु.
कार्माण
१६-१७ सर्वदा विच्छेदाभाव
सर्वदा विच्छेदाभाव
११२
१समय
तीन विग्रह पूर्वक जन्मधारण केवल योग परिवर्तन
सर्वदा
सर्वदा
पाँचों मनो वचन योगी
१ विग्रहपूर्वक जन्म धारण | ३ समय यथायोग्य ३योग परिवर्तन, | अन्तर्मुहूर्त गुणस्थान परिवर्तन, मरण व व्याघातके पूर्व ११ भंग दिखो काल/)
६ आवली अन्तमुहूर्त
१समय
१ समय
१ समय मूलोघवत पत्य/असं मूलोघवत १६॥ , ११ भंगोंसे । अविच्छिन्न १६८-- योग परिवर्तन
प्रवाह १६ सर्वदा विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव १६३
| इतने काल पश्चात् योग परिवर्तन
उपरोक्तवत् परन्तु अप्रमत्तके
व्याघात बिनाके १०भंग १ समय व्याघात बिना उपरोक्त १० भंग
११ भंगोंसे योग परिवर्तन
अन्तर्मु. योगपरिवर्तन १७२
१७३
६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाए
सर्वदा | विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव १६३
योग व गुणस्थान परिवर्तन
| के भंग १ समय | विवक्षित योगसहित प्रवेश | अन्तर्मुहूर्त
१ समय पीछे योग परिवर्तन
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