________________
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
www.jainelibrary.org
बनस्पति सा
पर्याप्त
, ल० अप० बन० प्रत्येक सा
"
पर्याप्त
.. ल० अप०
बन० साधारण
निगोद:
19
"1
:::
मार्गणा
:::
"
===
13
19
सामान्य पर्याप्त
पर्याप्त
".
" ल० अप " सू० सा०
ल० अप०
वा० सा०
" पर्याप्त
""
ल० अप
त्रस सामान्य
पर्याप्त
11
ल० अप० स्थावरके सर्व त्रिकल्प
त्रस सामान्य
पर्याप्त
".
,, ल० अप०
गुण
प्रमाण
स्थान नं ०/१ नं ०/२ जघन्य
सू
⠀⠀⠀⠀
...
...
!!
...
⠀⠀⠀
⠀⠀⠀
...
***
ii
१
१
~*~
१३६
१५६
१५७
१५६
१
र
२-१४ १६०
"
सू.
१४-१५ सर्वदा विच्छेदाभाव
כג
"
32
22.
13
RRR
12
39
"
11
11
17
""
"
17
"
:::
##
नानाजीवापेक्षया
विशेष
"
13
»
.
"
"
"3
"
"
13
"
"
35
"
39
"
लोधमद
सर्वदा विच्छेदाभाव
उत्कृष्ट
सर्वदा विच्छेदाभाव
11
"
विशेष
17
P
555
11
ま
-
प्रमाण
मं०/१ नं०/३
सू.
सू.
ск
">
१३६
१५६
१५७
१५६
सर्वदा विदभाव १६१
12
७६-७७
८७-८८
८६
७१-८० अन्तर्मुहूर्त
८२-८३
क्षुद्रभव
99
८६
८४
.
*
६१-६२
जघन्य
क्षुद्रभव
अन्तर्मुहूर्त
क्षुद्रभव
क्षुद्रभव
"
क्षुद्रभव
अन्तमु०
क्षुद्रभव
क्षुद्रभव
अन्तर्मु
क्षुद्रभव
क्षुद्रभव
अन्तर्मु
क्षुद्रभव
:
अन्तर्मुहूर्त
६४-६५ क्षुद्रभव
अन्तर्मुο
3
क्षुद्रभव
विशेष
|- स्व स्व उपरोक्त ओघवत्
क्षुद्रभवसे असं गुणा
-सोधनद
एकजीवापेक्षा
४. योग मार्गणाः-
संकेत -१ समय सम्बन्धी प्ररूपणाके ११ भंगों का विस्तार पहले सारणी सम्बन्धी नियमोंमें दिया गया है। वहाँसे देख लें । - दे० काल / ५
उत्कृष्ट
अ० पु० परि० स्व मार्गणा परिभ्रमण
सं० सहस्र वर्ष
अन्तर्मुहूर्त
७० कोड़ा कोडी
सागर
सं० सहस्र वर्ष
अन्तर्मुहूर्त
२३५० परिवर्तन
सं० सहस्र वर्ष अन्तर्मुहूर्त
७० कोड़ा कोड़ी
सागर
सं० सहस्र वर्ष अन्तर्मुहूर्त
जसं खोक प्रमाण
समय
अन्तर्मुहूर्त
२००० सा+ १३० को ०
२००० सा०
बन्तर्मुहूर्त
२००० सा+
२००० सागर
अन्तर्मुहूर्त
"
19
"
::
3 3 3 3
17
97
विशेष
19
19
•. (रा. ना./३/३६/६/२१०)
,, ( ध० / प्र १० / पृ. ३४ / १० )
स्व मार्गमा परिभ्रमण
विकल व पंच इन्द्रियोंके निरन्तर भव
कमे८०,६०,४०.२४ प्रमाण परिभ्रमण
काल
१०७
3
६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाए