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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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मार्गा
२. इन्द्रिय मार्गणा एकेन्द्रिय सामान्य " सा० पर्याप्त
"" ल० अप०
" ना० सा०
19 03
पर्याप्त
"" ले० अप
" सू० सा०
११ १३
पर्याप्त "" ल० अप
विकलेन्द्रिय सा
पर्याप्त
अपर्याप्त
पंचेन्द्रिय सा०
पर्या
" ल० अप
उपरोक्त सर्व
विकल्प
पर्याप्त " ल० अपर्याप्त
,, बा० सामा
११
पर्या .. ल० अप०
" सू० सामान्य |
१३८
पंचेन्द्रिय पर्याप्त २-४४ १३७
३. काय मार्गणा
पृथि-अप रोजवायु चारों सामान्य
पर्याप्त
" ल० अप०
[१] [११]
प्रमाण
गुण स्थान नं ०/१ नं०/२ जघन्य
१
सू. सू.
| १०७
[१२-१३ सर्वदा विभा
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19
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नानाजीवापेक्षया
विशेष उत्कृष्ट विशेष
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-मूलोघवत्
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33
כ
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सर्वदा विदाभा
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१४-१५ सदा मिच्छेदाभाव सर्वदा विच्छेदाभाव
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19
11
99
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प्रमाण
नं०/१ नं ०/३
४०-४१
४६-४० अन्
४६-५०
४३-४४
४६-४७ ४६-५०
५२-५३
"1
६४-६५ ६०-६८।
७०-७१
१०७
१५-५६ अन्तर्मुहूर्त
5-48
क्षुद्रभव
६१-६२
१३८
१३४
जघन्य
७३-७४
७६-८०
८२-८३
८४
क्षुद्रभव
::
क्षुद्रभव
क्षुद्रभव
अन्तर्मुहूर्त
क्षुद्रभव
क्षुद्रभव
७६-८०
अन्तर्मुहूर्त |
८२-८३
क्षुद्रभव
७६-७७ क्षुद्रभव
अन्तर्मुहूर्त
क्षुद्रभव
अन्तर्मुहूर्तं
क्षुद्रभव
अन्तर्मुहूर्त |
क्षुद्रभव
क्षुद्रभव
अन्तर्मुहूर्त
क्षुद्रभव
विशेष
एकजीवापेक्षया
उत्कृष्ट
असं पु० परि० स्व मार्गणामें परिभ्रमण (सू० व बा०)
सं० सहस वर्ष अन्तर्मुहूर्त
असं उत्सर्प ०
अवस ०. वर्ष
सं सहस
अन्तर्मुहूर्त
असं लोक
प्रमाण समय
अन्तर्मुहूर्त
सं० सहस्र वर्ष
अन्तर्मुहूर्त
१००० सा० +
को० पृ०
शत पृथक्त्व सागर
अन्तर्मुहूर्त
-उपरोक्त सर्व विकल्पोंके ओमवद
- मूलोधवत् -
असं लोक प्रमाण समय
विशेष
सं सहस्र वर्ष
अन्तर्मुहूर्त ७० कोड़ा
कोड़ी सागर
सं० सहस्र वर्ष अन्तर्मुहूर्त
असं लोक प्रमाण समय
अन्तर्मुहूर्त
"
99
11
19
11
19
+7
सर्व स्थान सम्भव नहीं
सू० मा / पर्याप्त अपर्याप्त सर्व विकल्पों
11
स्व मार्गणा परिभ्रमण (पू अपर्या०)
11
11
काल
१०६
६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाएँ