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प्रकाशित कर रही है । इसी क्रम में नया पांचवां भाग भी प्रकाशित होगा। कोशका प्रकाशन इतना अधिक व्यय साध्य हो गया है कि सीमित संख्या में ही प्रतियाँ छापी जा रही है । पाँचो भागों की संस्करण - प्रतियोंकी संख्या समान होगी । अतः संस्थाओं और पाठकोंके लिए यह लाभदायक और आश्वासनकारी होगा कि वह पाँचो भागों के लिए संयुक्त आदेश भेज दें। पांचों भागों के संयुक्त मूल्यके लिये नियमोंकी जानकारी कृपया ज्ञानपीठ - कार्यालय से मालूम कर लें ।
ज्ञानपीठके अध्यक्ष श्री साहू श्रेयांसप्रसाद जी और मैनेजिंग ट्रस्टी श्री साहू अशोक कुमार जैनका प्रयत्न है कि यह बहुमूल्य ग्रन्थ संस्थाओंको विशेष सुविधा नियमों के अन्तर्गत उपलब्ध कराया जाये ।
कोषके इस संस्करणके सम्पादन - प्रकाशन में 'टाइम्स रिसर्च फाउण्डेशन', बम्बई ने जो सहयोग दिया है उसके लिए भारतीय ज्ञानपीठ उनका आभारी है।
प्रथम भाग के इस संस्करणके मुद्रणमें डा. गुलाबचन्द्र जैनने दिल्ली कार्यालय में और टाइम्स आफ इण्डिया, नयी दिल्लीके भूतपूर्व जाब प्रेस मैनेजर श्री यतीशचन्द्र जैनने वाराणसी में बैठकर इसके मुद्रणमें जिस दायित्वका निर्वाह किया है, वह प्रशंसनीय है ।
मूर्तिदेवी ग्रन्थमालाके सम्पादक द्वय - सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्रजी, वाराणसी और विद्यावारिधि डॉ ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊका मार्गदर्शन ज्ञानपीठको सदा उपलब्ध है । हम उनके कृतज्ञ हैं ।
पूज्य दर्शजीने यद्यपि कोश के इस पहले भाग में इस प्रकारका कोई उल्लेख नहीं किया था, किन्तु दूसरे भाग के 'प्रास्ताविक' में ब्रह्मचारिणी कुमारी कौशलजी के सम्बन्धमे जो हा दक उद्गार व्यक्त किये उनके वह आशीष-वचन हम इस संस्करण में भी विशेष रूप से सम्मिलित कर रहे हैं ।
महावीर जयन्ती ३ अप्रैल, १९८५
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कृते भारतीय ज्ञानपीठ लक्ष्मीचन्द्र जैन
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