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________________ प्रास्ताविक [द्वितीय भाग के प्रथम संस्करण से ] जैनेन्द्र सिद्धान्त कोशके स्वर भाग (अ से औ तक) का प्रकाशन भाग १ के रूपमें ज्ञानपीठ मूर्तिदेवी ग्रन्थमालाके अन्तर्गत संस्कृत ग्रन्थांक ३८ के रूपमें पिछले वर्ष १९७० मे हुआ था। उसके बाद एक वर्षके भीतर ही दूसरा भाग क से न तकका छपकर तैयार हो गया और उसी ग्रंथमालाके चालीसवे ग्रयके रूपमे प्रकाशित हो रहा है। सामग्रीके संचयन, सम्पादनसे लेकर मुद्रण प्रकाशन तकका सम्पूर्ण कार्य अत्यन्त श्रमसाध्य रहा है। इसमें जिस-जिसका भी योगायोग रहा है उन सबके प्रति मगल कामना करता हूँ। इस सन्दर्भमे पानीपत निवासिनी कुमारी कौशलका नाम विशेष उल्लेखनीय है, जिसने इस ग्रथको पाण्डुलिपि तैयार करनेमे सहायता ही नहीं दी, बल्कि गुरु-भक्ति वश अपनी सुध-बुध भूलकर इस कार्यको तत्परताके रूपमे कठिन तपस्या की । प्रभु प्रदत्त इस अनुग्रहको प्राप्त करके मै अपनेको धन्य समझता हूँ। और एकनिष्ठ गुरुभक्ता तपस्विनी व सत्यसाधिकाके लिए प्रभुसे प्रार्थना करता हूँ कि जगत्सम्राज्ञी माया रानीके विविध प्रपंचोसे उसकी रक्षा करते हुए वे उसे निरन्तर सत्य पथ पर ही अग्रसर करते रहे, जिससे कि वह किसी दिन उसोमे इस प्रकार लीन हो जाये कि इस मायाका दर्शन करने के लिए उसे लौटकर आना न पड़े । -जिनेन्द्र वर्णी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016008
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2003
Total Pages506
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size18 MB
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