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चेप लगाना; चिपकाना. तुल. गुज. चेप संज्ञा चौआ अ. देश. चकित होना; सतर्क होना 1470 1452
चौड़ा स. ना. देश. (चौड़ा विशे.) चौड़ा करना; चेहा अ. देश. चकित होना 1453
व्यर्थ का विस्तार करना 1471 चोंक स. ना. देश. ( चोका संज्ञा) स्तन से मुँह चौपत स. ना. देश. (चौपत विशे.) चार तहों में लगाकर दूध पीना; पानी पीना 1454
लपेटना; लपेटकर तह लगाना 1472 चोख स. दे. 'चोख' 1455
चौपता स. दे. 'चौपत' 1473 २थ स. अनु. (दे. पृ. 218, मा. हि. को - 2) चौरसा स. ना. भव (चोरस विशे; सं. चतुरू + खोटना; नोचना. गुज. चूंथ 1456
अश्रि; प्रा. चतुरस्स: दे. इआले 4598) चौरस चोख स. देश. थन से मुँह लगाकर पीना, चूसना करना; बराबर करना. तुल. गुज. चोरस विशे. 1457
1474 * चोट-पोट स. ना. देश. (चोटी-पोटी संज्ञा) छद अ. ना. सम. (छद संज्ञा) छेद बनाना; रूठे हुए को मनाना; फुसलाना; अ. चापलुसी कविता करना. तुल. गुज. छंद संज्ञा 1475 की बातें करना 1458
छंदर स. ना. अर्धसम (छद संज्ञा) धोखा चोटा स. दे. 'चाटिया' 1459
देना 1476 चोटिया स. ना. देश. चोट पहुंचाना; चोटी गूंथना छक अ. देश. (* छक्क; दे. इआले 4956) 1460
तृप्त होना; चकराना. गुज. छक; छाक 'पगचोथ स. दे. 'चोथ' 1461
लाना' 1477 चोद अ. देश. (* चोद; दे. इआलें 4929) छटक अ. देश. (* छट्ट; प्रा. छटा दे. इआले संभोग करना. गुज. चोद 1462
4968) तेजी के साथ पकड़ से निकल जाना; *चार स. भव (चोर संज्ञा; सं. चोर संज्ञाः काबू से निकल जाना. गुज. छटक 1478
प्रा. चोरिअ विशे; दे. इआलें 4933) चुराना. छटपटा अ. ना. अनु. देश. (छटपटी संज्ञा; गुज, चार 1463
*छट्ट; दे. इआले 4969) व्याकुल होना; *चोष स. दे. 'चूस' 1464
आतुर होना 1479) चौंक अ. देश. (* चमक्क संज्ञा; प्रा. चमक्क् छड़ स. देश. (* छट; प्रा. छडा संज्ञा; दे. दे. इआले 4676) भय, विस्मय या पीड़ा की इआले 4965 ) चावल आदि छाँटना; खूब अचानक अनुभूति से चंचल हो जाना; भड़- पीटना. गुज. छडक, छड 1480 कना. गुज. चोंक 1465
छत स. ना. भव (छात संज्ञा; सं. छद्; दे. *चौंट स. दे. 'चोंट' 1466
इआले 4971) छत डालना; घर छाना; अ. *चौंध अ. ना. देश. (चौंध संज्ञा ) बिजली घाव होना. तुल. गुज. छत संज्ञा 1481 का चमकना, कौंधना 1467
छतरा अ. ना. भव (सं. छद् प्रा. छत्त संज्ञा; चौंधिया अ. दे. 'चौध' 1468
दे. इआलें 4972) छत्रक की तरह चारों ओर चौरा स. देश. किसीके ऊपर या चारों ओर चँवर फैलना; अधिक विस्तार से युक्त होना. 'तुल. डुलाना; जमीन पर झाड़ देना 1469
गुज. छतरी संज्ञा 1482
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