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हिन्दी-गुजराती धातुकोश
चुबक स. देश. (* चुब्ब; दे. इआले 4866) (2) अ. दे. 'चहचह ' 1437 - फँसाना, चुभोना 1423
चुह स. देश, चूस 1438 चुबला स. दे. 'चबा' 1424
चुहट स. दे. 'चिहुँट' 1439 चुभ अ. देश. (चुभ् ; दे. इआले 4867)
चुहुँट स. दे. 'चिहुँट' 1440 फँसना, नुकीली चीज़ का भीतर घुसना 1425 चुभक अ. अनु. ( दे. पृ. 266, मा. हि. को- चुहुक स. अनु. बछड़े आदि का भैस, गाय आदि 2) बार-बार गोता खाना, डूबना-उतराना
का स्तन-पान करना; चूसना 1441 . 1426
चुहट स. दे. 'चुहँट' 1442 Fore चुभला स. दे. 'चुवला' 1427
चूँग स. देश. ( * चुग ; दे. इआले 4853) चुमकार स. अनु. बच्चों को प्यार करने, पशुओं धीरे धीरे खाना. तुल. गुज. चगळ 1443
को बुलाने के लिए मुँह से चूमने जैसी आवाज चॅट अभव (सं. चुण्टू ; प्रा. चुंट् ; दे. इआलें निकालना, पुचकारना 14.8
4857 ) चींटी की तरह चिपक जाना, नोचना; चुर अ. देश. पानी में पकना, सीझनाः गुप्त चुटकी से पकड़ना. गुज. चूंट 1444 मंत्रणा होना; अ. चुराया जाना. तुल. गुज. चूंठ स. अर्धसम ( सं. चुण्ठू ; दे. इआले 4857) चड़ 'पकना' 1429
दबाना, नोचना, तोड़ना 1445 चुरक अ. अनु. ( दे. पृ. 26), मा. हि. को - चू अ. भव (सं. च्युत् ; प्रा. चु; दे. इआले
2) चूर-चूर होना; फटना 1430 ___4948 ) टपकना; पके या सूखे फल का झड़ चुरग अ. अनु. ( दे. पृ. 266, मा. हि. को - पड़ना. गुज. चू 1446 .2) प्रसन्न होकर मुँह से शब्द निकालना 1431 चूक अ. देश. (* चुक्क; प्रा. चुक्क् ; दे. इआले चुरचुरा अ. अनु. ( दे. पृ. 266, मा. हि. को- 4848 ) भूल करना; विफल होना; समाप्त 4) चुरचुर शब्द उत्पन्न होना 1432
होना. गुज. चूक 1447 चुरा स. दे. 'चोर' 1433
चूम स. भव (सं. चुम्बू ; प्रा. चुंब् ; दे. इआले चुलचुला अ. अनु. देश. ( * चुल: प्रा. चुलचुलू ;
4870 ) स्नेह-प्रकाश के लिए होठों से किसीके दे. इआले 4874) चुल उठना. संभोग की होठों, गालों आदि का स्पर्श करनाः चुबन प्रबल कामना होना. तुल. गुज. चळ संज्ञा करना. गुज. चूम, चुम्ब 1448 1434
चूर स. देश (* चूर; प्रा. चूर; दे. इआले चुलबुला (1) अ. दे. 'चुलचुला' बार-बार 4888) चूर करना. गुज. चूर 1449 हिलना, चंचलता दिखाना
चूस स. भव (सं. चूष ; दे. इआले 4898) (2) अ. ना. वि. (चुलबुल संज्ञा; फा. दे. होठों और जीभ के योग से रसपान करनाः पृ. 191, हि. दे. श. ) 1435
शोषण करना. गुज, चूस 1450 चुलचुला अ. दे. 'चुलचुला' 1436
चेत स. सम ( सं. चित् ) सोचना; अ. होश चुहचुहा (1) अ. अनु. ( दे. पृ. 269, मा. में आना; सावधान होना. गुज. चेत 'सावधान हि. को - 2 ) इतना भरा होना कि रस होना' 1451 टपकता हुआ जान पड़े
चेप स. ना. देश. (चेप संज्ञा) किसी वस्तु पर
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