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2. नो इहलोगट्ठाए तव महिढेज्जा । नो पइलोगट्ठाए तव महिलैजा ॥
दशर्व 91418 3. रागो य दो सोडवीय कम्मबीयं ।।
उत्त० 3207 4, एयं तुलमण्णेसि। -प्राचारांग-1171148 5. से मसई उच्चागोए, असईणीयागोए । गोहीणे, णोप्रहरिते, णो पीहए। इति संखाय के गोयावादी ? के मारणावादी? कसिना एगे निज्म ?
-प्राचारांग-203149 6. तुमंसि नाम सच्चेव ज 'हतव्वं' ति मन्त्रसि,
तुमंसि नाम सच्चेव जं 'अज्जावेयव्य' ति मनसि, तुमंसि नाम सच्चेव ज 'परितावेयवं' ति मिन्नसि, तुमंसि नाम सच्चेव जं 'परिघेतव्वं' ति मनसि ।
-माचारा-5111101 7. पुरिसा ! तुममेव तुम मितं, कि बहिया मित्त मिच्छसि ?
-भाचारांग 311162 8. वित्तण ताणं न लभे पमत्तो, इमम्मि लोए प्रदुमा परस्था।
-उत्तराध्ययन-415 9. पारतं विरत्त मणिकुडलं सह हिरण्णेय, परिगिझ सत्थेवरत्ता। ण एत्थ तवो वा, दमो वा, ‘णियमो वा दिस्सति ।।
-माचारांग-211158159
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