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प्रकाशित होना सम्भव नहीं थी। श्रीयुत् कपूरचन्दजी पाटनी एकदफा फिर हमारी महासमिति के ब्रह्मास्त्र सिद्ध हुए है। उन्होंने बहुत महनत करके सारे विज्ञापन, चित्र आदि जुटाए हैं और सारी व्यवस्थाएं व्यव. स्थित की हैं। श्री केवल चन्द जी ठोलिया ने भी अजन्ता प्रिण्टसं के माध्यम से स्मारिका के प्रकाशन में महत्वपूर्ण सेवायें दी है । मैं समस्त लेखकों व विज्ञापनदाताओं के प्रति हृदय से आभारी हूं क्योंकि उनके योगदान के बिना स्मारिका का न तो इतना बड़ा कलेवर ही बन सकता था और न उसमें आत्मा प्रतिष्ठित की जा सकती थी।
हमने स्वल्प कथन में सार भूत कहने का प्रयत्न किया है। अगर पाठकों ने इस सार भूत को उसी भावना के साथ ग्रहण किया तो हमारा प्रयत्न सफल माना जाएगा और हमें अत्यन्त प्रसन्नता होगी।
जय वीरम्
(सम्पत कुमार गपइया).
प्रधान मन्त्री
जयपुर कार्तिक कृष्णा द्विीया वीर निर्वाण सम्वत् 2501
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