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प्रकाशकीय
भगवान महावीर ने कहा है "निरर्थक मत बोलो, जो सार भूत है वहीं कहो" राज० प्रां० भगवान महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव महासमिति के मंच से इस सिद्धान्त को यथाशक्ति अपनाने की चेष्टा की गई है। गत वर्ष में निर्वाण महोत्सव के कार्यक्रमों के अन्तर्गत, राजस्थान में अद्भुत कार्य हुए हैं। समस्त भारत में इस वर्ष के हुए कार्यों की तुलना में राजस्थान की उपलब्धियां सर्वोपरि है। हमारे एक-एक जिले और एकएक शहर ने पूर्ण रूप से संगठित होकर सुनियोजित ढंग से योजनाओं को क्रियान्वित किया है और आशातीत सफलताए प्राप्त की हैं। हमारी संगठन की योजना पूर्ण सफल रही है हमने हर शहर, तहसील, जिले तथा प्रान्त को अपने-अपने स्तर पर संगठित करने का उपग्रह किया है । सरकार से हमें पूर्ण सहयोग मिला है और सरकारी कर्मचारियों से पूर्ण तालमेल बैठ सके, इसका समझदारी से तालमेल बैठाया गया है। जनता में एकता उत्साह व कर्तव्य की भावना न जागती तो हमारी सफलता आसान नहीं होती।
उपरोक्त सभी उपलब्धियों का वर्णन सार भूत है और यह जनता के सम्मुख लाना आवश्यक है ताकि सबको प्रेरणा मिले और जो कुछ हमने किया है या हुआ है, उसका सांगोपांग सिंहावलोकन भी हो सके । अगर कहीं कोई कमी रही है तो हमें उसे सुधारना है और जो मार्ग उचित रहा है हमें उसकी ओर आगे प्रगति करनी है। इस हेतु यह मावश्यक था कि प्रान्त व जिलों का लेखा जोखा समस्त समाज के सम्मुख समुपस्थित किया जाये । एतदर्थ हमने वीर निर्वाण स्मारिका प्रकाशित करने का निर्णय किया है।
__ स्मारिका में लेखे जोखे के साथ-साथ सुन्दर लेख भी संग्रहित किये गए हैं जो भगवान महावीर के उपदेशों की महानता, उपादेयता, पावश्यकता और सत्यता पर प्रकाश डालते है।
___ इस सारे उपक्रम की सफलता के लिए मैं हमारी स्मारिका के प्रबन्ध सम्पादकों, सम्पादकों व व्यवस्थापकों के सहयोग को ही आधारभूत मानता हूं। श्री भंवरलाल पोल्याका ने पूर्ण परिश्रम करके बहुत सुन्दर सामग्री जुटाई है, उनकी लगनशीलता के बिना इस रूप में स्मारिका
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