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कैसे भूल सकेगा तुमको ?
- श्री शर्मनलाल 'सरस' सकरार (झांसी)
कैसे भूल सकेगा तुमको महावीर यह देश हमारा जब तक नभ में सूर्य चंद्र हैं, ऋणी रहेगा लोक तुम्हारा,
अखिल विश्व के भूमंडल को, जब था गहन तिमिर ने घेरा, उस क्षरण तुमने नई दिशा दी, नई किरण दी, नया सवेरा, भव सागर से तर जाने की, था - जीवन जलयान तुम्हारा, कैसे भूल सकेगा तुमको, महावीर - यह देश हमारा,
जाति पाति के भेद भाव को तुमने परम प्यार से पाटा, दुर्मति के दुर्गम दुर्गों को, संयम की छैनी से छांटा, गाय सिंह ने एक साथ, पानी पीकर बोला जयकारा, कैसे भूल सकेगा तुमको, महावीर यह देश हमारा,
देन तुम्हारी थी, उस युग में, नारी ने नव जीवन पाया, निर्भय हो नारी का जीवन, तुमने वंदनीय बतलाया, भुके 'सरस' सुर नर पशु पति तक था - ऐसा उपदेश तुम्हारा, कैसे भूल सकेगा तुमको, महावीर यह देश हमारा,
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