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निगंठनाथ पुत्र ( महावीर ) का पावा में निर्वारण हुआ ।
2- भगवान बुद्ध का मन्तिम भोजन पावा में हुमा जहां वे गम्भीर रूप से बीमार हो गए और प्रायः 25 स्थानों पर बैठकर उसी दिन कुशीनगर पहुंचे जहां उनका निर्वाण हो गया- अतः पावा कुशीनगर के पास ही था ।
कहा है: - एतस्मि प्रन्तरे पञ्चविसतिया ठानेसु निसीदित्वा" श्रादि ।
3 - मार्ग वर्णन "सेतव्यं कपिलवस्तु कुसिनारं च मन्दिरं । पावंच भोगनगरं वेसालि मगधपुर | पास कं चेत्तियं च रमणीयं मनोरमं ।। "
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4- " कोसाम्बिञ्चापि साकेतं सावत्थियंचपुरुत्तमं । सेतव्यं कपिलवत्थु कुसिनारञ्च मन्दिरं । पावं चभोगनगरं वेसालि मागधं पुरं ॥ "
मगध से वैशाली पुन: कुशीनगर के मार्ग में पावा पड़ता था । अथवा स्रावस्ती से कुशीनगर फिर पावा तब वैशाली पुनः मगध । इनसे स्पष्ट है कि पाया कुशीनगर और वैशाली के बीच मार्ग में ही था ।
5- "पावा तो तोणिगावुतानि कुशीनारानगरं । "
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पावा कुशीनगर से तीन गव्यूति ( 12 मील) की दूरी पर था । यही दूरी आज भी है ।
महावीर बुद्ध काल में एक यही पावा थी— कोई दूसरी पावा नहीं थी । बाद में लोगों ने भगवान के निर्वाण की स्मृति रूप श्रनेकों स्थानों ग्रामों को पावा तथा पावा से मिलते-जुलते नाम
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रख लिया ऐसे स्थानों को निर्वारण भूमि मानना भ्रम एवं भूल है । आजकल मगध में नालंदा के पास जो पावापुरी है वहाँ पहले कोई ग्राम इस नाम का नहीं था । यह तो बहुत बाद की मध्य कालीन स्थापना है । किसी भी प्रकार यह निर्वारण भूमि नहीं सिद्ध होती है । पादा नंगर ( सठियावाडीहफाजिलनगर ) के आस पास 3-4 मील के वृत में कितने ही डीह खण्डहर अब भी हैं जबकि मगधनालंदा की पावापुरी के पास इनका नाम निशान भी नहीं हैं । पावा नगर के श्रास पास "वीर" नाम से सम्बन्धित कितने ही स्थान हैं । सठियावाडीह में भी 'योगी वीर बाबा" नामक एक स्थान है--जो सम्भवतः निर्वारण स्थल ही है । "योगी वीर बाबा के नाम से भौर भी कितने स्थान उत्तर भारत में मिलते हैं- वे सभी भगवान महावीर को स्मृति में स्थापित है। जहां जहां भगवान गए होंगे -- उपदेश सभा की होगी उन्हीं में कहीं कहीं ऐसा नाम श्राज भी पाया जाता है ।
और भी अनेकों पुष्ट प्रमाण हैं जिनसे सिद्ध होता है कि पावा नगर (सठियावाडीह-फाजिलनगर ) ही वास्तविक ' पावा" प्राचीन पावा है । इसे भारत वर्षीय भगवान महावीर 2500वां निर्वाण महो त्सव समिति ने भी पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया है और यहां भगवान महावीर का एक विशाल भव्य मन्दिर पोखरे में बनाने का निर्णय लिया है । 10 - 15 एकड़ जमीन लेने का प्रस्ताव है । समिति द्वारा रुपए का प्रबन्ध होते ही जमीन ले ली जाएगी ।
भगवान महावीर वर्धमान की जे भगवान का निर्वाण भूमि पावा नगर की जं ।
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