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समकालीन भौतिकवाद और भगवान महावीर
विश्व के सभी महान पुरुषों ने अपने सिद्धान्त अनुभव, ज्ञान व पाचरण से समाज के सामने एक ऐसा मार्ग प्रस्तुत किया है, जिससे व्यक्ति का सर्वागीण विकास हो। इस विकास के दो पक्ष है-भौतिक और आध्यात्मिक । इन दोनों के संतुलन पर ही समाज व राष्ट्र की प्रगति निर्भर रहती है। ____वर्तमान में आध्यात्मिक प्रवृति की अपेक्षा भौतिक प्रवृति अधिक प्रबल बन गई है जिसके कारण व्यक्ति के जीवन व समाज में विषम स्थिति उत्पन्न हो गई है। __भौतिक प्रवृति की मुख्य अभीप्सा शारीरिक सुख भोग की अोर होती है। इसी के फलस्वरूप प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके अपने ही सुख के लिए नाना प्रकार की वैलासिक सामग्री हो । शारीरिक सुख भोग की इस तृष्णा को मिटाने के लिए मनुष्य सब प्रकार के अनैतिक हथकण्ड़ों को काम मैं लाता रहा है। इसका परिणाम यह हुआ कि समाज की कोई सुन्दर तस्वीर आज तक नहीं बन पाई है।
आज अधिकांश में यही देखा जाता है कि मानव येन केन प्रकारेण धन कमाने के पीछे पागल है। वह अधिक धन कमाने के लिए जमाखोरी, मुनाफाखोरी, कर चोरी, चोर बाजारी, धोखाधड़ी, मिलावट, हत्या प्रादि राष्ट्र विरोधी अनैतिक कार्य करने से भी नहीं हिचकता है। उसकी धन-लिप्सा इतनी अधिक बढ़ गई है कि बीसों पीढ़ियों तक समाप्त न हो इतना धन वह स्वयं एकत्र कर लेना चाहता है। इसका फल यह हप्रा कि समाज में घोर विषमता पैदा हो गई है। एक और विशाल
-श्री कन्हैयालाल लोढा एम०ए०, जयपुर
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