________________
(१६)
चतुर्दिवसीय षड्दर्शन सङ्गोष्ठी चार सत्रों में चली, जिसमें अनेक विद्वानों ने अनुसन्धानात्मक निबन्धों का वाचन किया। प्रो. रहस बिहारी द्विवेदी का 'रसास्वादः', प्रो. भोलाशङ्कर व्यास का 'संस्कृतकाव्येषु सङ्केतिताः सांख्ययोगयोर्दार्शनिकराद्धन्ताः', डॉ. महेशप्रकाश शर्मा का 'शब्दब्रह्मवादः', प्रो. बलिराम शुक्ल का ‘असदर्थविषये शाब्दबोधविचार:', प्रो.उमाशङ्कर शुक्ल का ‘भारतीयज्योतिषे गणितज्योतिषस्यावधारणा' आदि निबन्ध बहुत चर्चित रहे।
[ग] त्रिदिवसीय शास्त्रसङ्गोष्ठी संस्कृतवर्ष-समारोह की शृङ्खला में दि. १-३ फरवरी, २००० तक त्रिदिवसीय शास्त्रसङ्गोष्ठी, विद्वत्सम्मान एवं 'प्राची पत्रिका' का लोकार्पण समारोह सम्पन्न हुआ।
प्राची पत्रिका का लोकार्पण-समारोह दि.१ फरवरी, २००० को पूर्वाण १० बजे से माननीय कुलपति प्रो.राममूर्ति शर्मा की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ। इस सभा के मुख्य अतिथि श्री राकेशधर त्रिपाठी, उच्च शिक्षा राज्यमन्त्री थे। छात्रसंघ के अध्यक्ष श्री सदानन्द चौबे ने छात्रसंघ द्वारा प्रकाशित होने वाली प्राची पत्रिका का परिचय प्रस्तुत किया।
श्री राकेशधर त्रिपाठी ने प्राची पत्रिका का लोकार्पण कर अपने उद्गार में सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के विद्वानों के बीच में अपने आमन्त्रण के लिए आभार व्यक्त किया। मन्त्री महोदय ने कहा कि सरस्वती के मन्दिर में विद्वानों का सम्मान एक सङ्गम का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आगे कम्प्यूटर युग आ रहा है, उसमें संस्कृत के विद्यार्थियों की पूर्ण आवश्यकता होगी; क्योंकि संस्कृत ही कम्प्यूटर की भाषा बनने में पूर्ण सक्षम है। छात्रों से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु को गुरु का स्थान देते रहने पर ही छात्रों को भी भविष्य में सम्मान मिलेगा। माननीय श्री त्रिपाठी जी ने कहा कि अध्यापक तथा छात्र दोनों एक-दूसरे के दर्पण हैं, जिनका मलिनता दूर करना काम है। आपने शिक्षाप्रणाली में सुधार की चर्चा करते हुए शिक्षाविदों से नेक सलाह लेने की आवश्यकता बतायी।
विद्वत्सम्मान के क्रम में तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री १००८ रामभद्राचार्य, प्रो. कमलेशदत्त त्रिपाठी, पद्मश्री डॉ. कपिलदेव द्विवेदी आदि १८ विद्वानों को सम्मानित किया गया।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org