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________________ ( १७ ) इसके बाद छः सत्रों में अनेक विद्वानों ने अपने गवेषणात्मक शोध - निबन्ध प्रस्तुत किये, जिसमें तृतीय सत्र दि. २ फरवरी को पूर्वाह्न १० बजे से प्रारम्भ हुआ, जिसके मुख्य अतिथि सङ्कटमोचन मन्दिर के महन्थ प्रो. वीरभद्र मिश्र थे। इस सत्र में विभिन्न विद्याओं के विशिष्ट बीस विद्वानों को नारिकेल, उत्तरीय, सम्मानपत्र एवं रू. ५१०० (पाँच हजार एक सौ रूपये) प्रदान कर सभाध्यक्ष माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा ने सम्मानित किया। शोध निबन्ध-वाचन के क्रम में श्री वेदप्रकाश शास्त्री, प्रो. वीरेन्द्र कुमार वर्मा आदि विद्वानों ने निबन्ध प्रस्तुत किया । 'रसप्रदीप' नामक ग्रन्थ की समीक्षात्मक व्याख्या करते हुए पण्डित श्री मानिकचन्द्र मिश्र ने बताया कि यह ग्रन्थ लगभग १६ वर्ष पूर्व प्रकाश में आया है। इस ग्रन्थ के लेखक प्रभाकर भट्ट हैं। ३ फरवरी, २००० को अपराहण ३ बजे से माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा की अध्यक्षता में समापन सत्र प्रारम्भ हुआ । इस सत्र में उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष श्री केशरीनाथ त्रिपाठी मुख्य अतिथि के आसन पर विराजमान थे। 'देवो भूत्वा देवं यजेत' इस सूक्ति को चरितार्थ करते हुए विद्वानों को सम्मानित करने के पूर्व माननीय कुलपति महोदय ने चन्दन लेपन, नारिकेल एवं उत्तरीय के साथ अभिनन्दन पत्र प्रदान कर मुख्य अतिथि का सम्मान किया। विश्वविद्यालय द्वारा अभिनव प्रकाशित ग्रन्थों का एक सेट उन्हें समर्पित किया गया। इसके बाद अपने-अपने क्षेत्र के मूर्धन्य विद्वानों के सम्मान का क्रम प्रारम्भ हुआ। प्रत्येक विद्वान् को चन्दनानुलेप, नारिकेल एवं उत्तरीय के साथ सम्मानपत्र एवं पाँच हजार एक सौ रूपये नकद राशि प्रदान करते हुए श्री त्रिपाठी एवं माननीय कुलपति प्रो. शर्मा जी पूर्ण आनन्द की अनुभूति कर रहे थे। सम्मानित होने वाले विद्वानों में प्रो. हरेराम त्रिपाठी, डॉ. लालविहारी पाण्डेय, डॉ. कुबेरनाथ पाठक, पण्डित श्री मानिकचन्द्र मिश्र आदि १८ विद्वान् सम्मिलित थे। इसके बाद विद्यावारिधि उपाधि से विभूषित विशिष्ट योग्यता धारण करने वाले विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया, जिसमें डॉ. विजय प्रसाद त्रिपाठी डॉ. राजेन्द्रप्रताप त्रिपाठी, डॉ. रामहर्ष पाण्डेय, डॉ. रामेश्वर शर्मा, डॉ. रविशङ्कर भार्गव, डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय, डॉ. हरिशङ्कर त्रिपाठी, डॉ. रानी ओझा, डॉ. कृपाशङ्कर पाण्डेय, डॉ. हरि उपाध्याय, डॉ. रामगोपाल मिश्र, डॉ. श्रीधर ओझा, डॉ. हरिवंश कुमार पाण्डेय, डॉ. ददन उपाध्याय एवं डॉ. मारकण्डेय नाथ तिवारी के नाम उल्लेखनीय हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014030
Book TitleShramanvidya Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBrahmadev Narayan Sharma
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year2000
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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