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________________ ११६ श्रमणविद्या 37 ) अट्ठदुग तिग चउक्के सत्त चउक्के तिगे च बोद्धव्वा । छक्कं दुर्गाहिणियमा पंच तिगे एक्कग दुगे वा ॥ 38) चत्तारि तिग चउक्के तिष्णि तिगे एक्कगे च बोद्धव्वा । दो दुसु गाए वा एगा एगाए बोद्धव्वा ॥ 39) अणुपुव्वमणणुपुव्वं झीणमझीणं च दंसणे मोहे | उवसामागे च खवगे च संकमे मग्गणोवाया ॥ 40) एक्केक्कम्हि य ट्ठाणे पडिग्गहे संकमे तदुभए च । भविया वा भविया वा जीवा वा केसु ठाणेसु ॥ 41) कदि कम्हि होंति ठाणा पंचविहे भावविधि विसेसम्हि | कमपडिग्गहो वा समाणणा वाध केव चिरं ॥ 42) णिरयगइ - अमर पंचिदियेसु पंचेव संकमट्ठाणा | सत्रे मणुसईए सेसेसु तिगं असण्णीसु ॥ 43) चदुर दुगं तेवीसा मिच्छत्तमिस्सगे य सम्मत्ते । वावीस पणय छक्कं विरदे मिस्से अविरदे य ।। 44) तेवीस सुक्कलेस्से छक्कं पुण तेउ-पम्मलेस्सासु पण काऊ णीलाए किण्हलेस्साए || 45 ) अत्रगयवेद - णवंसय- इत्थी पुरिसेसु चाणुपुवीए । अट्ठारसयं णवयं एक्कारसयं च तेरसया ॥ 46 ) कोहादी उवजोगे चदुसु कसाएसु चाणुपुत्रीए । सोलस य ऊणवीस तेवीसा चेव तेवीसा || 47) णाणम्हि य तेवीसा तिविहे एक्कम्हि एक्कवीसा य । अण्णाहि यतिविहे पंचेव य संकमट्ठाणा || 48 ) आहारय-मविएसु य तेवीसं होंति संकमट्ठाणा | अणाहारएसु पंच य एक्कं ठाणं अभवियेसु ॥ 49) छव्वीस सत्तावीसा तेवीसा पंचवीस वावीसा । सुट्ठाणा अवगदवेदस्स जीवस्स || संकाय पत्रिका - २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014029
Book TitleShramanvidya Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1988
Total Pages262
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size9 MB
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