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श्रमणविद्या
37 ) अट्ठदुग तिग चउक्के सत्त चउक्के तिगे च बोद्धव्वा । छक्कं दुर्गाहिणियमा पंच तिगे एक्कग दुगे वा ॥
38) चत्तारि तिग चउक्के तिष्णि तिगे एक्कगे च बोद्धव्वा । दो दुसु गाए वा एगा एगाए बोद्धव्वा ॥
39) अणुपुव्वमणणुपुव्वं झीणमझीणं च दंसणे मोहे | उवसामागे च खवगे च संकमे मग्गणोवाया ॥
40) एक्केक्कम्हि य ट्ठाणे पडिग्गहे संकमे तदुभए च । भविया वा भविया वा जीवा वा केसु ठाणेसु ॥
41) कदि कम्हि होंति ठाणा पंचविहे भावविधि विसेसम्हि | कमपडिग्गहो वा समाणणा वाध केव चिरं ॥
42) णिरयगइ - अमर पंचिदियेसु पंचेव संकमट्ठाणा | सत्रे मणुसईए सेसेसु तिगं असण्णीसु ॥
43) चदुर दुगं तेवीसा मिच्छत्तमिस्सगे य सम्मत्ते । वावीस पणय छक्कं विरदे मिस्से अविरदे य ।। 44) तेवीस सुक्कलेस्से छक्कं पुण तेउ-पम्मलेस्सासु पण काऊ णीलाए किण्हलेस्साए ||
45 ) अत्रगयवेद - णवंसय- इत्थी पुरिसेसु चाणुपुवीए । अट्ठारसयं णवयं एक्कारसयं च तेरसया ॥
46 ) कोहादी उवजोगे चदुसु कसाएसु चाणुपुत्रीए । सोलस य ऊणवीस तेवीसा चेव तेवीसा ||
47) णाणम्हि य तेवीसा तिविहे एक्कम्हि एक्कवीसा य । अण्णाहि यतिविहे पंचेव य संकमट्ठाणा ||
48 ) आहारय-मविएसु य तेवीसं होंति संकमट्ठाणा | अणाहारएसु पंच य एक्कं ठाणं अभवियेसु ॥ 49) छव्वीस सत्तावीसा तेवीसा पंचवीस वावीसा । सुट्ठाणा अवगदवेदस्स जीवस्स ||
संकाय पत्रिका - २
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