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यह पत्रिका भारत के जैन समाज में अपना गौरवपूर्ण स्थान रखती है ।"
"पूर्व परम्परानुसार 1977 की स्मारिका भी एक श्रेष्ठ उपलब्धि है । ऐसी स्मारिका अन्यत्र दुर्लभ है । सामग्री प्रतीव स्तरीय तथा वैविध्यपूर्ण है । मेरा साधुवाद स्वीकार कीजिए । आप की साधना अत्यन्त गरिमामयी है ।"
डा. जयकिशनप्रसाद, खण्डेलवाल एम. ए. (हिन्दी, संस्कृत, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति आदि ) एलएल. बी. पीएच. डी. प्रवक्ता संस्कृत विभाग आर. बी. एस. कालेज, आगरा ।
ज्ञानवर्धक लेखों का दुर्लभ सामग्री से
संग्रह है । आपका परिश्रम सार्थक पूर्ण बनाने का प्रयत्न करेंगे । मेरी
" स्मारिका में उच्च स्तरीय एवं हुआ । श्रागामी स्मारिका को कुछ नवीन राय है कि आप राजस्थान में जैन धर्म एवं साहित्य पर अधिकाधिक सामग्री संचित करें । कार्य कुछ कठिन एवं श्रम साध्य है ।"
महावीर जयन्ती स्मारिका 78
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डा० लक्ष्मीनारायण दुबे एम. ए. पीएच. डी. असिसटेन्ट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, सागर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.)
" प्रतिवर्ष की भांति ही इस वर्ष की स्मारिका भी अनूठी है । लेख पठनीय, एवं शोध छात्रों के लिये उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करते हैं । प्रत्येक लेख पर दी गई आपकी टिप्पणी लेख के विषय को सुस्पष्ट करने में सहायक है । सम्पादन में किया गया आपका परिश्रम पग-पग पर दृष्टिगोचर होता है । बहुत कम संपादक इस प्रकार का श्रम करते हैं । "
डा. निजाम उद्दीन हिन्दी विभागाध्यक्ष इसलामिया कालेज, श्रीनगर ।
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प्रो. डा. बासुदेव शास्त्री साहित्याचार्य, विद्यवारिधि (पीएच. डी.) साहित्यविभागाध्यक्ष
राज० महाराजा प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय,
जयपुर ।
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