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"यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होती है कि आपके कुशल सम्पादन में राजस्थान जैन सभा जयपुर की यह महावीर जयन्ती स्मारिका अपना आकार-प्रकार. नियमितता एवं स्तर बनाये रखने में सफल रही है । इस वर्ष की स्मारिका में भी प्रभत पठनीय सामग्री है । बधाई स्वीकार करें।"
विद्यावारिधि डा. ज्योतिप्रसाद जैन सम्पादक--जैन सन्देश (शोधाङ्क), मथुरा
चार बाग, लखनऊ “सम्पूर्ण स्मारिका महत्वपूर्ण लेखों और उत्कृष्ट कवितामों से परिपूर्ण है । लेखों के साथ प्र. सम्पादक की पारखी टिप्पणियों ने तो अंक में चार चांद लगा दिये हैं।
इतनी विशाल उपयोगी स्मारिका के लिये हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें।"
श्री कल्याणकुमार जैन 'शशि'
रामपुर यू. पी. "स्मारिका सदृश प्रकाशनों को बुद्धिजीवी वर्ग के लिये नये चिन्तन का मार्ग प्रशस्त करने के लिये निश्चय ही उपयोगी कहा जा सकता है । आप जयपुर से इस परम्परा का जनोपयोगी प्रकाशन कर सतत निर्वाह कर रहे हैं, इसका हर्ष है ।
मेरी पुनः शुभकामनाएं ।”
(कैप्टन सेठ सर) भागचन्द सोनी
अजमेर ।
"मेरे हृदय की डिक्शनरी नये विशेषण खोज रही है जो स्मारिका के उपयुक्त प्रतीत हो। हां, अग्रज जी, आपका अनुभव और सूझबूझ का धरातल, मुझे ही क्या, भारत के अन्यान्य बुद्धिजीवियों को चौंकाने लगा है।
आप सोच रहे होंगे "मैं लगातार प्रशंसा कर रहा हूं।" सच मैं दोष निकालने का भी आदी है, आज तक किसी को मैंने बक्शा नहीं है । चाहता था कि आप पर भी दोषारोपण करू पर आपके सधे मन-मस्तिष्क ने अवसर ही प्रदान नहीं किया, बस यही दोष है आपका ।
मेरी बधाई की ध्वनि उस ओर भी मुखरित हो रही है, जहां श्री राजकुमारजी काला, बाबूलालजी सेठी एवं सभा की सम्पूर्ण कार्यकारिणी कार्यरत है। यह सात्विक बधाई डा. नरेन्द्र भानावत और श्री रमेशचन्द्र गंगवाल की ओर भी जाती है।"
सुरेश 'सरल' (कई पुस्तकों के लेखक, सम्पादक)
गढा फाटक, जबलपुर ।
महावीर जयन्ती स्मारिका 78
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